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आध्यात्म

आज लगने जा रहा सदी का सबसे बड़ा चंद्रग्रहण, दुष्प्रभावों से बचने के लिए करें ये उपाय

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नई दिल्ली। सदी का सबसे बड़ा चंद्र ग्रहण आज यानि मंगलवार को लगने जा रहा है। इस बार चंद्र ग्रहण पर जो दुर्लभ योग बन रहा है वैसा आज से 149 साल पहले बना था।

12 जुलाई, 1870 को गुरू पुर्णिमा के दिन ही चंद्रग्रहण लगा था। चंद्रग्रहण को लेकर धार्मिक मान्यताएं हैं कि इससे लोगों पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।

इन प्रभावों से बचने के लिए लोगों की राशियों के हिसाब से कुछ उपाए बताए गए हैं जिससे ग्रहण से होने वाले नुकसान से आप बच सकते हैं।

मेष राशि-
मेष राशि वाले ग्रहण के बाद लाल कपड़ा/लाल मसूर की दाल/ सबूत हल्दी आदि का दान करें. ग्रहण काल के बाद किसी निर्धन को खाना भी खिलाएं। ऐसा करने से आपके मन की इच्छाएं जरूर पूरी होंगी।

वृषभ राशि-
वृषभ राशि वाले ग्रहण के बाद हल्के गुलाबी कपड़े और साबुत चावल का दान करें। ग्रहण काल के बाद किसी गौशाला में गाय को चारा खिलाएं। ऐसा करने से आपकी सेहत से जुड़ी समस्या दूर होंगी।

मिथुन राशि-
मिथुन राशि वाले कम से कम 5 गायों को हरा चारा खिलाएं। हरी मूंग, हरे कपड़े का दान करें. ग्रहण काल के बाद किसी किन्नर को खाना खिलाएं. भाई बहन में आपसी प्यार बढ़ेगा।

कर्क राशि-
कर्क राशि वाले लोग चंद्र ग्रहण के बाद जरूरतमंद लोगों को सफेद कपड़े का दान करें। शिव के मंत्र का जाप करते रहे. ऐसा करने से आपका मानसिक तनाव दूर होगा।

सिंह राशि-
सिंह राशि वाले सभी लोग चंद्र ग्रहण के दौरान गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें। गेहूं, गुड़ और कपड़ों का दान करें. इससे आपके दांपत्य जीवन में मधुरता आएगी।

कन्या राशि-
कन्या राशि वाले सभी लोग चंद्र ग्रहण के दौरान अपने माता पिता की सेवा करें। जरूरतमंद लोगों को खिचड़ी आदि का दान करें। इससे आपके घर में मां लक्ष्मी का आगमन होगा।

तुला राशि-
तुला राशि वाले सभी लोग ग्रहण काल के दौरान श्री सूक्त का 11 बार पाठ करें। ग्रहण के बाद सफेद चावल, वस्त्र, मिश्री तथा खिचड़ी जरूरतमंद लोगों को दान करें। इससे आपके प्रोपर्टी के विवाद हमेशा के लिए खत्म होंगे।

वृश्चिक राशि-
वृश्चिक राशि वाले सभी लोग ग्रहण काल के दौरान हनुमान चालीसा का तथा बजरंग बाण का पाठ करें। ग्रहण के बाद कम से कम 11 लोगों को मीठा दलिया दान करें। ऐसा करने से आपको ईश्वर की मदद मिलेगी, नौकरी व्यापार की समस्या खत्म होगी।

धनु राशि-
धनु राशि वाले सभी लोग ग्रहण काल के दौरान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। ग्रहण के बाद गाय को केला खिलाएं। हल्दी का दान करें.जरूरतमंद लोगों में कपड़ों का दान करें। इससे आपके पारिवारिक वाद-विवाद खत्म होंगे।

मकर राशि-
मकर राशि के सभी लोग ग्रहण काल के दौरान सुंदरकांड का पाठ करें। ग्रहण के बाद जरूरतमंद लोगों को तिल के लड्डू का दांन करें। पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं. नौकरी की समस्या खत्म होगी।

कुंभ राशि-
कुंभ राशि के सभी लोग ग्रहण काल के दौरान हनुमान बाहुक का 3 बार पाठ करें। ग्रहण के बाद तिल के लड्डू के साथ साथ अन्न का भी दान करें। पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाएं। इससे व्यापार की समस्या खत्म होगी।

मीन राशि-
मीन राशि के सभी लोग ग्रहण काल के दौरान 3 बार नारायण स्तोत्र का पाठ करें। ग्रहण के बाद गाय को केला गुड़ खिलाएं. इससे मित्रों के आपसी वाद विवाद खत्म होंगे।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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