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आध्यात्म

भागवत में 5 मुक्ति धर्म ही है

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kripalu ji maharaj

किंतु मुक्ति के विषय में बुद्धिमानों को भी आश्‍चर्य होता है कि उसे चुड़ैल क्‍यों कहा? मुक्ति तो भुक्ति रूपी चुड़ैल से छुटकारा दिलाकर ब्रह्मानन्‍द प्रदान करती है। कृपा द्वारा ही करोड़ों जीवन्‍मुक्‍त परमहंसों में किसी बड़भागी को ही प्रेमानन्‍द प्राप्‍त होता है। यथा-

मुक्‍तानामपि सिद्धानां नारायणपरायणः।  (भाग. 6-14-5)

यथा- वेदव्‍यास, सनकादिक, शुकादिक।

उपर्युक्‍त सायुज्‍य मुक्ति को चैतन्‍य देव ने कैतव माना है यथा-

अज्ञानतमेर नाम कहयि कैतव।  (चै. च.)

अर्थात् धर्म अर्थ काम की कामना रखने वाले अज्ञानियों से भी बड़ा अज्ञानी सायुज्‍य मुक्ति चाहता है। भागवत के प्रारम्‍भ में ही यथा-

’धर्मः प्रोज्झित कैतवः’    (भाग. 1-1-2)

अर्थात् भागवत में कैतव रहित (5 मुक्ति) धर्म ही है। शंकरानुयायी श्रीधर ने भी यह माना है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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