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आध्यात्म

जीवों का शरीर मायिक है

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kripalu ji maharaj

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kripalu ji maharaj

जग महँ सुख दुख दोउ नहिँ, अस उर धरि ले ज्ञान।

सुख माने दुख मिलते है, सुख न जगत महँ मान।।11।।

भावार्थ- संसार में न सुख है, न दुःख ही है यह ज्ञान दृढ़ कर लेना चाहिये। संसार में सुख मानने से ही उसके अभाव में दुःख मिलता है।

व्‍याख्‍या- संसार, माया से बना है। फिर भी इसमें 3 तत्‍तव हैं- 1. ब्रह्म। 2. जीव। 3. माया। इनमें माया निर्मित जड़ जगत् तो प्रत्‍यक्ष ही है। जीवगण भी सब जानते ही हैं। केवल ब्रह्म परोक्ष रूप से व्‍यापक है। यह जगत् जीव का भोग्‍य है। अतः वेद कहता है। यथा-

भोक्‍ता भोग्‍यं प्रेरितारं च मत्‍वा सर्वं प्रोक्‍तं त्रिविधं ब्रह्मेतत् ।।

(श्‍वेता. 1-12)

आप कहेंगे कि जब जीव इस संसार का भोक्ता है, तो फिर वैराग्‍य आदि क्‍यों बताया जाता है? तथा इस संसार से सुख क्‍यों नहीं मिलता। यह संसार, जीवों के शरीर के उपयोग के लिये बनाया गया है। उपभोग के लिये नहीं। जीवों का शरीर मायिक है। एवं जगत् भी मायिक है। अतः शरीर का विषय सजातीय होने से जगत् है। किंतु आत्‍मा तो दिव्‍य है। यथा-

चिन्‍मात्रं श्री श्री हरेरंशं सूक्ष्‍ममक्षरमव्‍ययम्।

कृष्‍णाधीनमिति प्राहुर्जीवं ज्ञानगुणाश्रयम्।

(वेद)

भागवत कहती है। यथा-

आत्‍मा नित्‍योऽव्‍ययः शुद्ध एकः क्षेत्रज्ञ आश्रयः।

अविक्रियः स्‍वदृग् हेतुर्व्‍यापकोऽसङ् ग्‍यनावृतः।।

(भाग. 7-7-19)

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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