आध्यात्म
मनुष्य का शरीर समस्त शरीरों में सर्वश्रेष्ठ है
ऐ मनुष्यों! ये तुम्हारा शरीर समस्त शरीरों में सर्वश्रेष्ठ है। इसलिये इस शरीर को पाकर अपना लक्ष्य प्राप्त कर लो। अर्थात् ये जान लो ‘मैं’ कौन? ‘मेरा कौन? अन्यथा-
इह चेदशकद् बोद्धं प्राक् शरीरस्य विस्त्रसः।
ततः सर्गेषु लोकेषु शरीरत्वाय कल्पते।।
(कठोपनिषद् 2-3-4)
अगर इस मानवदेह में तुमने इन दो प्रश्नों को न हल किया तो करोड़ों कल्प तक फिर ये मानवदेह नहीं मिलेगा। चौरासी लाख में घूमोगे। सोचो, कीट- पतंग, वृक्ष, कूकर, शूकर, ये कितने दुखी होंगे, न इनका घर है, न इनके वस्त्र हैं, न इनके खाने-पीने का एक दिन का भी प्रबन्ध है और एक दूसरे के शत्रु हैं। कोई पुलिस नहीं, कोर्ट नहीं। आप लोग करोड़ों जीवों को देखते हैं जंगलों में रहने वाले, एक दूसरे को आहार बनाकर जीवित रहते हैं। इन सब योनियों में हम लोग अनन्त बार जा चुके हैं। भूल गये।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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