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प्रख्यात नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई का 97 की उम्र में निधन

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अहमदाबाद| पद्मभूषण से सम्मानित प्रख्यात नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई का गुरुवार को यहां एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 97 साल की थीं। ‘अम्मा’ के नाम से मशहूर मृणालिनी साराभाई को बीमारी के कारण बुधवार को शहर के एक अस्पताल में दाखिल कराया गया था। उनके बेटे और वैज्ञानिक कार्तिकेय साराभाई ने कहा, “वह फेफड़े में संक्रमण से पीड़ित थीं, जिस कारण उनके स्वास्थ्य में गिरावट आती गई।”

मशहूर नृत्यांगना की मशहूर नृत्यांगना बेटी मल्लिका साराभाई ने फेसबुक पर उनके निधन की सूचना दी।मल्लिका ने अपनी मां को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “मेरी मां मृणालिनी साराभाई अपने शाश्वत नृत्य के लिए हमें छोड़ गई हैं।”मृणालिनी साराभाई का अंतिम संस्कार गुजरात की राजधानी गांधीनगर स्थित पेठापुर गांव में किया जाएगा।11 मई, 1918 को जन्मीं मशहूर नृत्यांगना का विवाह भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रम के अग्रणी वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई से हुआ था।

पूर्व सांसद अम्मू स्वामीनाथन की बेटी मृणालिनी साराभाई ने अपना बचपन स्विटजरलैंड में बिताया और नृत्य की पश्चिमी शैली के संस्थान ‘डैलक्रोज स्कूल’ से अपनी शुरुआती शिक्षा ग्रहण की थी।इसके बाद वह गुरु रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित ‘शांतिनिकेतन’ चली गईं। उन्होंने अपने कौशल को धार देने के लिए कुछ समय अमेरिका के ‘अमेरिकन एकेडमिक्स ऑफ ड्रामाटिक एक्ट़्स’ में भी व्यतीत किया।

भारत लौटने के बाद उन्होंने मीनाक्षी सुंदरम पिल्लई से भरतनाट्यम और गुरु थाकाजी कुंचु कुरुप से कथकली का प्रशिक्षण लिया।नृत्य, संगीत और नाटक के प्रशिक्षण संस्थान ‘दर्पण अकादमी’ की संस्थापक और निदेशक मृणालिनी साराभाई ने 18,000 से भी अधिक छात्रों को भरतनाट्यम और कथकली में प्रशिक्षण दिया था।दिग्गज नृत्यांगना को कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कई विशिष्ट पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

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इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति ने वापस लिया नामांकन, बीजेपी में होंगे शामिल

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इंदौर। लोकसभा चुनाव से पहले ही इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। अक्षय कांति के इस फैसले फैसले से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कलेक्टर कार्यालय में जाकर बीजेपी के उम्मीदवार शंकर लालवानी के सामने उन्होंने अपना पर्चा वापस लिया। इस दौरान बीजेपी के नेता रमेश मेंदोला भी साथ थे। इसके बाद में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधायक मेंदोला के साथ भाजपा कार्यालय के लिए रवाना हो गए। माना जा रहा है कि बम भाजपा की सदस्‍यता लेंगे।

इंदौर कैलाश विजयवर्गीय का गढ़ माना जाता है। विजयवर्गीय इंदौर 1 से विधायक हैं। उन्होंने एक्स पर अक्षय कांति बम की तस्वीर के साथ लिखा, ”इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम जी का माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी में स्वागत है।”

इसके बाद इंदौर सीट पर अब भाजपा के लिए मैदान लगभग साफ हो गया है, उसके सामने निर्दलीय और अन्य दलों के अलावा कोई प्रत्याशी नहीं बचा। नामांकन वापस लेने के बाद अक्षय कांति बम ने कहा कि जब से उन्होंने नामांकन जमा किया था, तब से ही कांग्रेस की ओर से उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा था। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि फॉर्म भरने के बाद से ही कांग्रेस अक्षय कांति पर दबाव बना रही थी।

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