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आध्यात्म

सावन में इन राशि वालों का चमक उठेगा भाग्य, मिलेगा ढेर सारा पैसा और प्यार

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सनातन धर्म के अंतर्गत ईश्वर की पूजा करने से भाग्योदय होता है। हमारे धर्म में ईश्वर स्तुति के ऐसे विधान दिए गए हैं जिसके अनुसरण मात्र से सभी दुःख और दर्द खत्म हो जाते हैं। भाग्य उत्तम हो जाता है और घर मे खुशहाली छा जाती है। इस सावन मास में दैवीय कृपा सीधे सीधे बरस रही है। पर, इन चार राशि वाले जातकों के लिए यह सावन काफी बेहतरीन है।

साभार – इंटरनेट

मेष – शासन सत्ता का सहयोग रहेगा। आप जिसे प्यार करते है उनसे जुड़े समाचार मिलना भी संभव है। आपका यह दिन खुशियों की सौगात लेकर आने वाला है। आपकी हर तमन्ना पूरी होने वाली है।

धनु – स्टूडेंट्स लाइफ वालों के लिए यह पारी उनको सफलता दिलाएगी। इनको परीक्षा से संबंधित सफलता भरी बड़ी खुशखबरी मिलेगी। नौकरों और सहकर्मियों से परेशानी होने की संभावना को ख़ारिज नहीं किया जा सकता है।

साभार – इंटरनेट

तुला – आपकी राशि से छठे घर में मंगल जो कि उच्च के हैं वे भी वक्री होकर गोचर कर रहे हैं यह भी आपको अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने का आग्रह कर रहे हैं।

कन्या – पति-पत्नी के बीच मन-मुटाव हो सकता है। किसी को प्रपोज करने की सोच रहे हैं तो आपके लिए समय अच्छा है। पार्टनर को लैटर लिखने से उनको खुशी होगी। आपको सफलता मिल सकती है। बड़े लोगों से सहयोग मिल सकता है।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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