Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

अद्भुत है काशी का ये शिवलोक, इस मठ में हैं करोड़ों शिवलिंग

Published

on

Loading

वाराणसी में जंगमबाड़ी मठ में करोड़ों शिवलिंग मौजूद हैं। महादेव की नगरी इस शिव लोक की अपनी मान्यता है। अवमुक्त क्षेत्र में स्थित करोड़ों शिवलिंग के दर्शनों के लिए यहां श्रद्धालु आते हैं। यहां दर्शन करने से मोक्ष का वरदान मिलता है। श्रावण मास में शिवलिंग के दर्शन का खास महत्व होता है। महादेव यहां से मुक्ति का आशीर्वाद देते हैं।

Crores of Shivling in this Math of Kashi Varanasi Uttar Pradesh ann

इस मठ में हैं करोड़ों के शिवलिंग

कहते हैं कि, काशी का हर कंकर शंकर के समान होता है। इसी कथन को परिभाषित करते ये शिवलिंग एक-दो-तीन नहीं, हजारों नहीं, लाखों नहीं,करोड़ों की संख्या में हैं। मंदिर की दीवार हो या कोई और स्थान, हर ओर शिवलिंग ही शिवलिंग हैं। मान्यता है कि इस शिवलोक में आने मात्र से मोक्ष का आशीर्वाद मिलता है।

शिवलिंगों की पीछे ये है कहानी

आपको बता दें कि, महादेव से पूर्व काशी पर राजा दिवोदास का शासन था। महादेव ने दिवोदास की आस्था से प्रसन्न होकर काशी उनसे ली और यहीं पर वास कर गए। बाबा विश्वनाथ की इस नगरी के अवमुक्त क्षेत्र में वीरशैव संप्रदाय के जंगमबाडी मठ में करोड़ों शिवलिंग मौजूद हैं। कहा जाता है कि इस सम्प्रदाय से जुड़े लोग अपने जीवन काल में शिवलिंग धारण करते हैं और मृत्यु के बाद उनके वंशज यहां उनके नाम का शिवलिंग स्थापित करते हैं। इनका मानना है कि इनके सम्प्रदाय में पुनर्जन्म नहीं है और भगवान शिव में विलीन होकर शिवत्व को ग्रहण करना यानी मुक्ति का मिलना इसी स्थान पर है। इसके अलावा मुक्ति की कामना से भक्त यहां दर्शन भी करने आते हैं।

मोक्ष का आशीर्वाद

जंगमबाड़ी मठ के महंत डॉक्टर चंद्रशेखर शिवाचार्य ने बताया कि, बाबा विश्वनाथ के धाम से कुछ ही दूरी पर मौजूद इस शिवलोक में भक्तों की आस्था है। भक्त यहां हाजिरी लगाते हैं और मोक्ष का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

Continue Reading

Trending