Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

वाराणसी: सावन में महंगा हुआ बाबा का दर्शन पूजन, जानिए नई शुल्क दर

Published

on

Loading

वाराणसी। वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन माह में दर्शन-पूजन महंगा हो गया है। सोमवार को मंगला आरती का शुल्क 15 सौ रुपये से बढ़ाकर दो हजार कर दिया गया है। विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने आरती और दर्शन-पूजन के शुल्क दर की नई लिस्ट जारी की है। पूजन से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं में 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।

मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि विश्वनाथ मंदिर में सावन के सोमवार पर सुगम दर्शन का शुल्क 500 रुपये से बढ़ाकर 750 प्रति व्यक्ति कर दिया गया है। सावन के अन्य दिनों में सुगम दर्शन का शुल्क 500 रुपये ही रहेगा।

सोमवार को मंगला आरती का शुल्क 1500 रुपये से दो हजार हो गया है। जबकि बाकी दिनों में एक हजार रुपये का टिकट रहेगा। पिछले वर्ष यह टिकट 700 रुपये में मिलता था। मध्याह्न भोग आरती, सप्त ऋषि आरती व श्रृंगार भोग आरती का टिकट पूरे माह 500 रुपये रहेगा, जबकि पिछले वर्ष यह शुल्क 200 रुपये था। अगर श्रद्धालु सावन में सोमवार को विशेष शृंगार करना चाहते हैं तो उन्हें अब 20 हजार रुपये खर्च करने पड़ेंगे, जबकि विगत वर्ष यह धनराशि 15 हजार रुपये थी।

एलईडी टीवी पर भी होगा बाबा का दर्शन

इस बार सावन में श्रद्धालुओं के लिए जहां गंगा द्वार खोल दिया गया है, वहीं परिसर में दर्जनभर स्थानों पर एलईडी टीवी लगेंगी। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल मंगलवार दोपहर विश्वनाथ धाम पहुंचे। उन्होंने गंगा घाट से लेकर परिसर तक की व्यवस्थाएं परखीं।

उन्होंने कहा कि दशाश्वमेध घाट से स्नान करने के बाद अगर श्रद्धालु विश्वनाथ धाम में प्रवेश करता है तो समुचित बैरिकेडिंग, मैटिंग, पेयजल सहित सारी सुविधाएं मिलनी चाहिए। इसके लिए मंदिर प्रशासन उचित प्रबंध कर ले।

सावन के दिन विशेष में पूजा शुल्क में बढ़ोतरी

  • सोमवार को मंगला आरती का शुल्क 2000 रुपये
  • सामान्य दिनों में मंगला आरती का शुल्क 1500 रुपये
  • सुगम दर्शन को सामान्य दिनों में खर्च करने होंगे 500 रुपये
  • सोमवार को सुगम दर्शन का खर्च 750 रुपये
  • मध्याह्न भोग आरती, रात्रि शृंगार, सप्तर्षि आरती, भोग आरती का खर्च 500 रुपये
  • सावन में एक शास्त्रत्ती से रुद्राभिषेक कराने का शुल्क 700 रुपये
  • सोमवार को पांच शास्त्रत्ती से रुद्राभिषेक कराने के तीन हजार रुपये देने होंगे
  • अन्य दिनों में पांच शास्त्रत्ती से रुद्राभिषेक पर 2100 देने होंगे
  • सोमवार को सन्यासी भोग के लिए 7500 रुपये
  • सावन के अन्य दिनों में सन्यासी भोग के 4500 रुपये लगेंगे

जिग-जैग लाइन में खड़े होंगे श्रद्धालु

कमिश्नर ने कई स्थानों पर जिग-जैग लाइन बनाने का निर्देश दिया। मंदिर चौक में टेंट से छाया और कूलर पंखे लगाकर गर्मी से निजात दिलाने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस बार सावन में सात लाख लोगों की आने की संभावना है। इसलिए व्यवस्थाएं भी वैसी होनी चाहिए।

परिसर में गंदगी फैलाने पर 500 रुपये का जुर्माना

काशी विश्वनाथ धाम में अगर आप गुटखा खाते हुए या गंदगी फैलाते पकड़े गए तो 500 रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा। मंगलवार को मंदिर परिसर में दूध का पैकेट फेंकने पर दो लोगों से जुर्माना वसूला गया। मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि मंदिर प्रशासन कैमरे से भी निगरानी शुरू कर रहा है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

Continue Reading

Trending