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नेशनल

पड़ोसी राज्यों के किसानों की वजह से दिल्ली-एनसीआर की हवाओं में घुल रहा जहर, सरकार बेफिक्र

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राजधानी दिल्ली से सटे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में खरीफ की कटाई कर रहे हैं। किसानों ने अगली फसल की तैयारी के लिए एक बार फिर पराली (फसल की खूंट) जलाना शुरू कर दिया है। जिससे होने वाले प्रदूषण पर फिर से बहस शुरू हो गई है।

इस प्रदूषण से राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो सकता हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार इस बार भी पिछले साल की तरह देखती रहेगी या फिर दिल्ली के लोगों के लिए कुछ करेंगी?

गौरतलब हैं कि साल 2017 की दीपावली, जब दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट की पहल के बाद केन्द्र सरकार ने पटाखों के यूज़ पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस प्रतिबंध के वक्त दावा किया गया कि दीपावली के पटाखों से दिल्ली का वातावरण बुरी तरह प्रदूषित हो जाता है और इसका खामियाजा इन पड़ोसी राज्यों समेत दिल्ली की करोड़ों की आबादी को उठाना पड़ता है।

दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया लेकिन प्रदूषण के प्रकोप से दिल्ली वाले नहीं बच पाए। सर्वे में हैरान करने वाले तथ्य सामने आए कि उत्तर भारत के प्रदूषण का असली विलेन पटाखे नहीं बल्कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खेतों में जलाई जाने वाली पराली है।

दरअसल, पराली धान की फसल के कटने बाद बचा बाकी हिस्सा होता है जिसकी जड़ें धरती में होती हैं। किसान पकने के बाद फसल का ऊपरी हिस्सा काट लेते हैं क्योंकि बाकी अवशेष किसान के लिए बेकार होते हैं, उन्हें अगली फसल बोने के लिए खेत खाली करने होते हैं तो सूखी पराली को आग लगा दी जाती है।

आपको बता दें, केंद्र सरकार ने दिल्ली के पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा से 11 अक्‍टूबर को अपील की। कि वे प्रदूषण नियंत्रित करने की दिशा में धान की पराली जलाएं जाने से रोकने के लिए पूरी गंभीरता तथा जिम्मेदारी से काम करें।

गौरतलब है कि इस समस्या के प्रभावित राज्य दिल्ली से सटे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की जनसंख्या लगभग 37 करोड़ है। इन राज्यों में आधी जनसंख्या पराली से हो रहे प्रदूषण से सीधे प्रभावित होती है। यानी देश की 15-16 करोड़ की जनसंख्या को विषाक्त वायु से बचाने के लिए सरकार को लगभग 3,200 करोड़ रुपए खर्च करना है। प्रति व्यक्ति ये खर्च तकरीबन 200 रुपए प्रतिवर्ष बैठता है।

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दिल्ली के स्कूलों की जांच में कुछ नहीं मिला, पुलिस बोली- ई-मेल्स और कॉल्स फर्जी

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नई दिल्ली। दिल्ली के स्कूलों में बम होने के धमकी भरे ईमेल के बाद जांच की गई तो वहां कुछ नहीं मिला। पुलिस अधिकारियों ने भी इसे होक्स ईमेल बताया है, लेकिन उन्होंने कहा कि चेकिंग जारी रहेगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह फर्जी कॉल है। दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां प्रोटोकॉल के मुताबिक जरूरी कदम उठा रही हैं।

वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली के कुछ स्कूलों को बम की धमकी वाले ई-मेल मिले। दिल्ली पुलिस ने प्रोटोकॉल के तहत ऐसे सभी स्कूलों की गहन जांच की। कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिल। ऐसा प्रतीत होता है कि ये कॉल्स फर्जी हैं। हम जनता से अनुरोध करते हैं कि वे घबराएं नहीं और शांति बनाए रखें।

स्कूल में आए इस धमकी भरे ईमेल के बाद कई स्कूलों ने बच्चों की जल्द छुट्टी का मैसेज पेरेंट्स को भेज दिया, तो कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल जाकर पहले ही ले आए। इसके अलावा कई स्कूल के प्रिंसिपल ने पेरेंट्स को मैसेज भेज कर कहा कि घबराने की बात नहीं है।

नोएडा में इंद्रप्रस्थ ग्लोबल स्कूल (आईपीजीएस) की प्रिंसिपल निकिता तोमर मान ने बताया, “मैं लोगों से आग्रह करूंगी कि वे अनावश्यक घबराहट पैदा न करें और इस स्थिति को एक परिपक्व वयस्क के रूप में लें। दिल्ली-एनसीआर के जिन स्कूलों को धमकियां मिलीं, उन्हें खाली करा लिया गया है और हमारे सहित बाकी स्कूल सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। कोई धमकी भरा संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।”

 

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