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अन्तर्राष्ट्रीय

एक भारतीय महिला की मौत ने बदल दिया आयरलैंड में गर्भपात कानून

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एक भारतीय महिला की मौत ने आयरलैंड में एक ऐसी क्रांति ला दी कि वहां के भारतीय मूल के प्रधानमंत्री को झुकना पड़ा। आयरलैंड में मुद्दा था गर्भपात रोधी कानून को हटाने का। जिसके लिए आयरलैंड में कराए गए जनमत संग्रह में कुल 66.4 फीसदी लोगों ने पक्ष में वोट किया।

भारतीय डेंटल सर्जन सविता हलप्पनवार

यह सारा मामला वर्ष 2012 में भारतीय डेंटल सर्जन सविता हलप्पनवार की मौत के बाद दुनिया की नजर में आया। सविता गर्भवती थी और आयरलैंड के गैलवे अस्पताल में इलाज करा रहीं थीं, जहां उन्हें सेप्सिस हो गया था। सेप्सिस से सविता हलप्पनवार की जान पर बन आई। उनकी सेहत लगातार खराब होती जा रही थी, अस्पताल से अनुरोध किया कि उन्हें अबॉर्शन की मंजूरी दे दी जाए, पर अस्पताल प्रशासन ने इसकी मंजूरी नहीं दी। अंत में अबॉर्शन के मुद्दे पर डाक्टरों की जद्दोजहद के बीच सविता हलप्पनवार ने अपनी जान गंवा दी।

आयरलैंड में गर्भपात रोधी कानून हटाने के पक्ष में 66 फीसदी मतदान

छह साल तक चले संघर्ष के बाद शुक्रवार को आयरलैंड में मौजूदा गर्भपात रोधी कानून को हटाने के लिए जनमत संग्रह कराया गया, जिसमें में कुल 66.4 फीसदी लोगों ने पक्ष में वोट किया।

रिटर्निग ऑफिसर बैरी रेयान ने कहा कि कुल 33.6 फीसदी मतदाताओं ने मौजूदा गर्भपात कानून को जस का तस रखने के पक्ष में वोट किया। इस कानून को स्थानीय नागरिकों में आठवें संशोधन के रूप में जाना जाता है, जिसके तहत देश में गर्भपात प्रतिबंधित है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, बैरी रेयान ने जनमत संग्रह के नतीजों को डबलिन कैसल के सेंट्रल काउंट सेंटर में जमा भीड़ के समक्ष घोषित किया। रेयान के मुताबिक, इस जनमत संग्रह के लिए लगभग 33.7 लाख मतदाताओं ने पंजीकरण कराया था और इनमें से 64.1 फीसदी लोग शुक्रवार को हुए जनमत संग्रह में शामिल हुए। लगभग 6,000 लोगों को वोट को अवैध करार दिया गया।

आयरलैंड में गर्भपात रोधी कानून हटाने के पक्ष में 66 फीसदी मतदान

गौरतलब है कि शुक्रवार को हुए जनमत संग्रह में उमड़ी भीड़ आयरलैंड में हुए अब तक हुए जनमत संग्रह में उमड़ी भीड़ में सबसे अधिक रही, जिससे यह पता चलता है कि आयरलैंड के लोगों के लिए गर्भपात संबंधी मुद्दे कितना महत्व रखते हैं। आयलैंड के गर्भपात कानून में अजन्मे शिशु को उसकी माता के समान जीने का अधिकार का प्रावधान है। आयरलैंड के संविधान में आठवें संशोधन के जरिए इसे बहाल रखा गया है।

एक भारतीय महिला की मौत ने बदल दिया आयरलैंड में गर्भपात कानून

पिछले साल अक्टूबर में आयरलैंड में गर्भपात कानून के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए। लोगों ने ‘मार्च फॉर च्वाइस’ में हिस्सा लिया। लोग ‘हे हे लियो (प्रधानमंत्री लियो वराडकर) आठवां संशोधन करना पड़ेगा’ के नारे लगा रहे थे। इसके साथ ही लोगों ने बैनर भी पकड़ रखे थे, जिन पर लिखा था, ‘कीप योर रोसरीज ऑफ माई ओवरीज’ और ‘पेरेंट बाइ च्वाइस फॉर च्वाइस’।

आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वराडकर (38 वर्ष) भारतीय मूल के हैं ।

इस वक्त आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वराडकर (38 वर्ष) भारतीय मूल के हैं और समलैंगिक विचारधारा को  मानने वाले है। लियो वराडकर देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी फाइन गेल के नेता हैं।

आयरलैंड में गर्भपात को लेकर कड़े नियम हैं। देश में गर्भपात केवल उसी स्थिति में वैध है, जब मां के जीवन को खतरा हो और अवैध रूप से गर्भपात के लिए यहां अधिकतम 14 साल कैद की सजा का प्रावधान है। आयरलैंड की हजारों महिलाएं वैध रूप से गर्भपात कराने के लिए हर साल ब्रिटेन जाती हैं। (इनपुट आईएएनएस)

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जेपी मॉर्गन के CEO बोले- अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेता की जरुरत

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नई दिल्ली। अमेरिकी बैंकिंग फर्म जेपी मॉर्गन चेज के सीईओ जेमी डिमन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेताओं की आवश्यकता है। जेमी डिमन ने कहा कि पीएम मोदी ने भारत में जबदरस्त और अविश्वसनीय काम किया है। अमेरिका में भी भारत नरेंद्र मोदी की तरह का प्रधानमंत्री होना चाहिए।

इकोनॉमिक क्लब ऑफ न्यूयॉर्क की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेमी डिमन ने कहा कि मैं अमेरिका के लिबरल प्रेस को जानता हूं, जो लगातार नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हैं। उन्होंने 40 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है.। इस दौरान डिमन ने भारत में गरीबी उन्मूलन, बुनियादी ढ़ांचे आर्थिक विकास समेत कई अन्य विषयों पर खुलकर बात रखीं।

उन्होंने कहा, “अमेरिका के कई अधिकारी भारत को लेकर कई बातें कहते हैं, लेकिन अपना देश कैसे चलाना है इस बारे में सोचने की जरूरत है। भारत में नरेंद्र मोदी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की सरकारें जलवायु परिवर्तन और श्रम अधिकारों को लेकर भारत की आलोचना करती हैं, जबकि उनके पास शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं है। फिर भी वो डटकर चुनौतियों का समाना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत ने एक नई चलन शुरू की है, जिसमें लोगों को फिंगर प्रिंट और आंख से पहचान की जाती है। यह भी भारत के लिए एक उल्लेखनीय है।

डिमन ने आगे कहा कि भारत मूलभूत सुविधाओं पर काम करते हुए आगे की दिशा में काम कर रहा है। विकासशील देश से विकसित देश की ओर बढ़ने के लिए वहां की सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

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