आध्यात्म
घर में भूल से भी नहीं लगानी चाहिए हनुमान जी की ये तस्वीरें, होता है बड़ा नुकसान
नई दिल्ली। बजरंगबली को संकटमोचक भी कहा जाता है। आज हम बजरंगबली से जुड़ी एक ऐसी बात आपको बताने जा रहे हैं जो बहुत कम ही लोगों को पता होगी। आज हम आपको बताएंगे कि हनुमान जी की कौन सी तस्वीरें घर में नहीं लगानी चाहिए। तो आईए जानते हैं कौन सी हैं वो तस्वीरें…
संजीवनी बूटी का पहाड़ लिए आकाश में उड़ रहे हनुमान जी फोटो घर में नहीं लगानी चाहिए। शास्त्रों के मुताबिक, बजरंग बली की मूर्ति या तस्वीरों की पूजा हमेशा स्थिर अवस्था में ही करनी चाहिए।
भगवान राम और लक्ष्मण को कंधे पर बिठाए हनुमान जी फोटो भी घर में नहीं रखनी चाहिए। इससे घर में अशांति बनी रहती है।
राक्षसों का नाश करते हुए या फिर हनुमान जी द्वारा लंका दहन की तस्वीरों को घर में नहीं लगाना चाहिए। ऐसी तस्वीरों से जीवन में सुख और समृद्धि की कमी रहती है और हनुमान जी की कृपा नहीं मिल पाती।
पीले रंग का वस्त्र पहने हनुमान जी की तस्वीर घर में लगाना शुभ होता है। इसके अलावा जिस तस्वीर में हनुमान जी भगवान राम की सेवा कर रहे हों, उसको लगाने से घर में धन की वर्षा होती है।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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