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आध्यात्म

Hanuman jayanti 2022: आज हो रही हनुमान जी के इस स्वरुप की पूजा,इस रुप की पूजा से मिट जाएंगे दुख-दर्द

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हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी के पंचमुखी अवतार की पूजा करने का भी विधान है। इनकी पूजा बहुत ही लाभकारी होती है। पंचमुखी हनुमान जी की पूजा हनुमान जयंती या फिर किसी भी मंगलवार के दिन की जा सकती है।

कैसा है हनुमान जी का यह रुप

रामायण के मुताबिक हनुमान जी के प्रत्येक मुख में तीन आंख और दो भुजाएं हैं। पंचमुखी हनुमान में पांच मुख नरसिंह, गरुड, अश्व, वानर और वराह रूप को दर्शाते हैं। इनके अनुसार कहा जाता है कि भगवान बजरंग बली अजर अमर है। इनके एक रुप यश, लंबी उम्र और धन संपत्ति भी मिलती है। इसके अलावा एक रूप से डय, भय दूर भागता है।

कैसे करें हनुमान जी की पूजा?

हनुमान जयंती के दिन मंगलवार की रात्रि में दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठें। अपने सामने लाल कपड़े पर पंचमुखी बजरंग यंत्र स्थापित कर उसकी पूजा चमेली के इत्र, सिंदूर, लाल फूल से करें और लड्डू व फल अर्पित करें। पूजन के बाद तेल का दीपक जलाएं और सुगंधित धूप जला कर मूंगे की माला से इस मंत्र- ‘ऊं हुं हुं हसौं हस्फ्रें हुं हुं हनुमते नम:।’ का आठ दिन तक 21 माला जप करें। अंतिम दिन इसी मंत्र की 108 आहुतियां गाय के शुद्ध घी की अग्नि में देकर अनुष्ठान पूर्ण करें। इस साधना में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें, भूमि पर सोएं। जो भी प्रसाद चढ़ाएं, वह गाय के शुद्ध घी में शुद्धता से बना हो।

हनुमान जयंती का दिन बहुत ही मंगलकारी होता है। इस दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। कहा जाता है कि हनुमान जी की पूजा से यश, सुख समृद्धि तो बढ़ती ही साथ ही डर आदि भी दूर भागता है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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