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आध्यात्म

महंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्या मामले में CBI को मिले अहम सबूत, हस्ताक्षर का हुआ मिलान

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लखनऊ। महंत नरेंद्र गिरी की आत्महत्या के केस में अब एक बड़ा खुलासा हुआ है। जांच के दौरान सीबीआई के हाथ कुछ अहम सबूत लगे हैं। महंत के करीबियों से पूछताछ में भी कई खुलासे हुए। इस मामले में अब लगातार नए मोड़ सामने आ रहे हैं। सीबीआई की टीम धीरे-धीरे इस केस को हल करने के करीब पहुंच रही है।

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बता दें कि महंत नरेंद्र गिरी द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट में किए गए हस्ताक्षर और उनके बैंक के कागज़ातों में हुए हस्ताक्षर मैच हो गए हैं। इससे साफ़ होता है कि सुसाइड नोट में साइन महंत ने खुद ही किए। साथ ही नोट में मिले नरेंद्र गिरि के फिंगरप्रिंट का भी उनके फिंगर प्रिंट से मिलान कर लिया गया है। करीबियों से पूछताछ में भी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई हैं। फिलहाल सुसाइड नोट की फौरेंसिक जांच जारी है।

आनंद गिरी के लाए डिटेक्टर टेस्ट की है तैयारी

सीबीआई ने अब तक इस मामले में आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी है। सीबीआई आनंद गिरि का लाई डिटेक्टर टेस्ट करवाने के लिए कोर्ट से मंज़ूरी लेने की तैयारी कर रही है। महंत से लगातार संपर्क में रहे लोगों की सूची तैयार कर उनसे पूछताछ जारी है। सूची में उनके परिवारजन और कुछ राजनीतिक लोग शामिल हैं। इसके साथ नरेंद्र गिरी की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों से भी पूछताछ की जाएगी।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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