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हेल्थ

प्रोटीन की संतुलित मात्रा बच्चों को बनाएगी स्वस्थ

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getty_rf_indian_children_at_playनई दिल्ली| हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा स्वस्थ एवं मजबूत हो। वे अच्छे पोषण की जरूरत को समझते हैं और जानते हैं कि उनके बच्चे के शरीर के विकास में प्रोटीन का क्या महत्व है। हालांकि, कई लोगों को यह नहीं पता कि उनके बच्चे को कितनी मात्रा में प्रोटीन की जरूरत होती है। अभिभावक यह नहीं समझ पाते हैं कि प्रोटीन जैसे पोषक तत्व के मामले में भी ‘बहुत ज्यादा अच्छी चीज भी बुरी साबित होती है।’ नई दिल्ली के श्रीगंगा राम हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजी के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सतीश सलूजा ने कहा, “शिशुओं में प्रोटीन की अत्यधिक मात्रा बच्चे के बड़े होने के साथ मोटापे की कोशिकाओं (फैट सेल्स) की संख्या बढ़ाती है एवं उनमें इन्सुलिन और आईजीएफ-1 (लीवर द्वारा बनाया जाने वाला हॉर्मोन, जो इंसुलिन की तरह काम करता है) का उत्सर्जन बढ़ जाता है। इसके कारण वजन एवं मोटापा तेजी से बढ़ता है, जिससे मधुमेह और हृदय रोग जैसी कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।”

प्रोटीन की जरूरत से ज्यादा मात्रा लेने से शिुश की अपरिपक्व गुर्दो पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। मनुष्य के शरीर में अतिरिक्त प्रोटीन जमा नहीं होता है, बल्कि शरीर इसे तोड़कर बाई-प्रोडक्ट बनाता है, जिसका मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकलना जरूरी होता है। किडनी तेजी से काम करना शुरू करता है और सिस्टम में जमा होने वाले कीटोन्स को बाहर निकालने की कोशिश करता है, जिससे बच्चे की किडनी पर काफी दबाव पड़ता है। अत्यधिक प्रोटीन खून में यूरिया, हाइड्रोजन आयन एवं अमीनो एसिड (फिनाईलेलेनाइन, ट्रायोसाइन) की मात्रा बढ़ाता है, जिससे मेटाबॉलिक एसिडोसिस होती है। मेटाबॉलिक अनियमितताओं का यह संयोग विकसित होते दिमाग पर बुरा प्रभाव डालता है।

अत्यधिक प्रोटीन से बुखार या डायरिया के समय कैल्शियम की हानि होती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है और डिहाइड्रेशन के साथ-साथ कमजोरी भी आती है।डॉ. सलूजा ने कहा, “मां का दूध पोषण का एक बेहतरीन स्रोत है, जिसकी नकल नहीं की जा सकती। इसमें प्रोटीन की मात्रा डायनैमिक होती है। यह शिशु के शरीर की जरूरतों के अनुसार बदलती रहती है और उसे सही मात्रा में प्रोटीन उपलब्ध कराती है। शिशु के विकास के साथ-साथ मां के दूध में भी प्रोटीन की मात्रा उसकी जरूरत के अनुसार कम होती जाती है।”

भारत में स्तनपान एवं पोषण के प्रयास हमेशा अपेक्षित स्तर से कम होते हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले छह महीनों में केवल 46 प्रतिशत बच्चों को ही स्तनपान कराया जाता है।इसी रिपोर्ट के अनुसार, 6 से 23 महीने के बच्चों में से केवल 44 प्रतिशत बच्चों को ही प्रतिदिन न्यनूतम सुझाई गई संख्या में स्तनपान कराया जाता है (यानी 6 से 8 महीने के बच्चों को दिन में दो बार एवं 9 से 23 माह के बच्चों को दिन में तीन बार स्तनपान)।डॉ. सलूजा ने कहा, “हम अपने बच्चों के लिए जो विकल्प चुनते हैं, उससे उनके विकास का निर्धारण होता है। शिशु के जीवन के पहले 1,000 दिन सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। शिशु के लिए सर्वश्रेष्ठ पोषण एवं सही मात्रा में प्रोटीन प्रदान करना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। जब भी संदेह हो तो यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने शिशु की वृद्धि एवं विकास के लिए अपने शिशुरोग चिकित्सक से संपर्क करें।”

लाइफ स्टाइल

तेजी से बढ़ रही है दिल की बीमारियों के चलते मौत, करें ये उपाय

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Death due to heart diseases increasing

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नई दिल्ली। भारत में दिल की बीमारियों के कारण होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हाई कॉलेस्ट्रॉल, धूम्रपान एवं आनुवंशिक कारणों से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ रही है। दक्षिण-पूर्वी एशियाई आबादी में आनुवंशिक रूप से दिल की बीमारियों की संभावना अधिक होती है। दिल को सुरक्षित रखने के लिए कुछ उपाय हैं, जिसे अपनाकर आप दिल की बीमारियों से दूर रह सकते हैं।

सेहतमंद आहार लें

संतुलित और सेहतमंद आहार का सेवन करने से शरीर को सही पोषण मिलता है। जंक फूड में फैट, नमक और चीनी बहुत अधिक मात्रा में होती है, जो समय के साथ हमारे दिल को बीमार बना देती है। अक्सर लोग बिना सोचे समझे प्रोसेस्ड फूड का सेवन करते हैं क्योंकि उन्हें यह बहुत आसान लगता है, लेकिन इस तरह का भोजन हमारी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। हमारे आहार में पर्याप्त मात्रा में कैलोरीज, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और लो सैचुरेटेड फैट होने चाहिए।

गतिहीन जीवनशैली से बचें

बहुत से लोग नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते। आज हममें से लाखों लोग ऐसी नौकरियां करते हैं, जिसके लिए उन्हें घंटों एक ही जगह पर बैठे रहना पड़ता है। व्यायाम की कमी व्यक्ति के लिए बेहद हानिकारक हो सकती है। यह मोटापे को जन्म देती है, जिसके कारण व्यक्ति धीरे धीरे डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियों का शिकार बन जाता है।

शारीरिक रूप से सक्रिय

व्यायाम दिल को तंदुरुस्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कार्डियो व्यायाम से दिल की पम्प करने की क्षमता बढ़ती है और दिल की मांसपेशियां तंदुरुस्त बन जाती हैं। नियमित व्यायाम करने से रक्तचाप नियन्त्रण में रहता है, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल कम होते हैं और ब्लड शुगर भी नियन्त्रित रहती है।

तनाव से बचें

तनाव आज हम सभी के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, खासतौर पर ज्यादातर शहरी लोग अपने काम को लेकर तनाव में रहते हैं। जब आपका शरीर तनाव में रहता है, तो इसका असर शरीर के हर अंग पर पड़ता है। तनाव के समय शरीर में एड्रिनलिन हॉर्मोन ज्यादा मात्रा में बनने लगता है, अगर ऐसा नियमित रूप से होने लगे तो दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

अच्छी और गहरी नींद

समय की कमी के कारण बहुत से लोग अपनी नींद को कम कर काम करने लगते हैं। वे अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नींद से समझौता करते हैं जो सेहत के लिए खास तौर पर दिल के लिए खतरनाक है। 7-8 घंटे से कम नींद लेने से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें

धूम्रपान और शराब का सेवन किसी भी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। आजकल विकासशील देशों में धूम्रपान का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जो दिल के लिए नुकसानदायक है। यहां तक कि अगर आपके आस-पास कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है तो वह भी आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं। धूम्रपान छोड़ने के लिए परिवार और दोस्तों के सहयोग की जरूरत होती है। इसकी आदत छोड़ने के लिए निकोटीन पैच या ई-सिगरेट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराकर आप दिल की बीमारियों के खतरे से बच सकते हैं। क्योंकि ऐसा करने से अगर आपको कोई समस्या है तो समय पर उसका निदान हो जाएगा और समय रहते इलाज शुरू कर बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकेगा। इसलिए नियमित रूप से अपनी जांच करवाते रहें और अपने स्वास्थ्य को मॉनिटर करते रहें।

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डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी एक सूचना मात्र है. अपनाने से पहले सम्बंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.

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