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आध्यात्म

आत्मा का आनन्द बड़ा भारी आनन्द होता है

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kripalu ji maharaj

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kripalu ji maharaj

कर्म की भी व्‍याख्‍या लम्‍बी चौड़ी की गई कि ये तो बेचारा केवल स्‍वर्ग तक ले जायेगा बशर्ते कि छः नियमों कर ठीक ठीक पालन हो, जो कि कलियुग में असम्‍भव है। ज्ञान पर विचार किया गया। अरे उसका तो अधिकारित्‍व ही इतना कठिन है कि अरबों में कोई नहीं हो सकता और अगर अधिकारी कोई मिल भी जाय पूर्व जन्‍म के संस्‍कार से, तो आगे चलने में बार बार गिरेगा और अगर कोई पार भी हो गया, अज्ञान भ्रान्ति आवरण, परोक्षज्ञान, अपरोक्ष ज्ञान, दुःख निवृत्ति, तृप्ति सातों भूमिकाओं को लांघ गया तो केवल आत्‍मज्ञान होगा। आत्‍मा का आनन्‍द मिलेगा, समाधि है ये। अरे बड़ा भारी आनन्‍द होता है वो, आत्‍मा वाला आनन्‍द। है माया का-

सात्त्विकं सुखमात्‍मोत्‍थं विषयोत्‍थं तु राजसम् ।

तामसं मोह दैन्‍योत्‍थं निर्गुणं मदपाश्रयम् ।।

(भाग. 11-25-29)

सत्‍त्‍वात्‍संजायते ज्ञानम् ।

(गीता 14-17)

ये माया का सुख है लेकिन इतना बड़ा है कि सब स्‍वर्ग लोक तक के सब सुख निछावर हो जाते हैं। लेकिन न माया जायेगी और न भगवत्‍प्राप्ति होगी। यही दो लक्ष्‍य हैं हमारे। इसलिये ज्ञान भी हमारे काम नहीं नहीं। और अब आये भक्ति पर। तो सबसे बड़ी और पहली सुविधा कि सब अधिकारी हैं। ये विस्‍तार पूर्वक बताया गया है। आप भूलेंगे नहीं। जो राम नहीं कह सके वो भी अधिकारी है। अरे महाप्रभु जी ने तो यहाँ तक कहा-

पशुपक्षी कीट आदि बोली ते न पारे। शुनी लेई होरी नाम तारा सब तरे।।

जपीले ते होरी नाम आपनी ते तरे उच्‍च संकीर्तने पर उपकार करे।

(गौरांग महाप्रभु)

भगवन्‍ नाम सुन लेने वाले कीट पतंग भी तर जाते हैं। इतना महत्‍त्‍व है। तो भक्ति के विषय में विचार प्रारम्‍भ हुआ। तो सबसे पहले भागवत के प्रथम स्‍कन्‍ध के प्रथम अध्‍याय का नौवाँ श्‍लोक वहाँ से शुरू किया था मैंने। सूत जी से प्रश्‍न किया था उन्‍होंने। सबसे सरल और सबसे श्रेष्‍ठ कौन सा मार्ग है मनुष्‍यों के लिये, कलियुग के हिसाब से बताइये। तो उन्‍होंने बताया था कि श्रीकृष्‍ण की भक्ति नम्‍बर एक और निष्‍काम भक्ति नम्‍बर दो। श्रीकृष्‍ण की ही भक्ति क्‍यों जी? इसलिये कि श्रीकृष्‍ण परात्‍पर सबके कारण सर्वशक्तिमान् हैं और कोई नहीं है। वेद में प्रश्‍न किया गया कि ये कृष्‍ण शब्‍द का अर्थ ही क्‍या है? सोच लो-

कृष्‍ण (ष्) शब्‍दश्र्च सत्‍त्‍तार्थोणश्र्चनन्‍दस्‍वरूपकः।

सत्‍त्‍ता स्‍वानन्‍दयोर्योगाच्चित् पर ब्रह्मचोच्‍यते।।

(गौतमीय तंत्र)

आध्यात्म

नौकरी में चाहिए प्रमोशन तो अपनाएं ज्योतिष के ये उपाय

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नई दिल्ली। अगर आप पिछले काफी समय नौकरी कर रहे हैं और आपका प्रमोशन नहीं हो रहा है। या फिर आपकी बॉस से नहीं बन रही है तो ये कुछ सरल उपाय करके आप सफलता पा सकते हैं।

. शनिवार की सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्मों से निवृत्त होकर घर में किसी पवित्र स्थान पर पूजन का विशेष प्रबंध करें या किसी मंदिर में जाएं। शनिवार शनि की पूजा का विशेष दिन माना जाता है। शनि हमारे कर्मों का फल देने वाले देवता हैं। अत: इसी दिन शनि देव का विधिवत पूजन करनी चाहिए।

. तरक्की के लिए सूर्य देवता को मनाना काफी शुभ बताया जाता है। जो लोग आसानी से तरक्की करते हैं उनका सूर्य काफी मजबूत होता है। प्रतिदिन सुबह सूर्य को पानी अर्पित करें और सूर्य नमस्कार करें। सूर्य देवता को जल अर्पित करने वाला बर्तन तांबे का हो और उसमें थोड़ा गंगाजल डालें। जल अर्पित करने के बाद सूर्य देवता से अपनी इच्छा रोज जाहिर किया करें।

. यदि नौकरी-पेशा करने वाले जातकों को प्रमोशन नहीं मिल रहा है अथवा उनकी तनख्वाह में वृद्धि नहीं हो रही है तो उन्हें मंगलवार के दिन हनुमान जी की आराधना करना चाहिए।

. प्रतिदिन पक्षियों को मिश्रित अनाज खिलाना चाहिए। सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। इसमें गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें शामिल की जा सकती हैं। प्रतिदिन सुबह यह उपाय करें, जल्दी ही नौकरी से जुड़ी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी।

. रात को सोते समय एक तांबे के बर्तन में पान भरकर अपने बिस्तर के नीचे रखें और सुबह उठते ही, बिना किसी को बोले, यह जल घर के बाहर फेंक दें।

. भगवान विष्णु की आराधना करने से भक्तों की मन की मुराद पूरी होती है इसलिए नौकरी में प्रमोशन पाने के इच्छुक जातकों को भगवान विष्णु जी की आराधना करनी चाहिए।

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