लाइफ स्टाइल
कैफीन की लत से बढ़ रही नपुंसकता
नई दिल्ली| एक दिन में 200 मिली ग्राम से ज्यादा कॉफी पीने से शरीर में एस्ट्रोजन का उत्पादन बढ़ जाता है। एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने से महिला और पुरुषों दोनों में प्रजनन संबंधी विकार और नपुंसकता पैदा होती है। कामकाजी लोगों के कॉफी, चाकलेट और कोला एक मजबूत तनावरोधी का काम करते हैं और युवा पीढ़ी खासतौर से उत्तेजना के लिए इनका इस्तेमाल करती है, लेकिन जब इसकी तलब लत में बदल जाती है तो यह नपुंसकता पैदा करने लगता है।
लीलावती अस्पताल, मुंबई के नपुंसकता विशेषज्ञ डॉ. रिषिकेश पाई का कहना है कि बहुत ज्यादा कॉफी पीने से पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। जो पुरुष रोजाना दो कप या उससे ज्यादा कॉफी पीता है उसमें बाप बनने की संभावना बहुत कम होती है। जबकि लड़कियों में कैफीन फेलोपियन ट्यूब में पेसमेकर कोशिकाओं की प्रणाली को बाधित कर देता है।
ये कोशिकाएं ट्यूब संकुचन का काम करती हैं और अंडों को ट्यूब में नीचे जाने से रोकती है। लेकिन जब महिलाएं बहुत ज्यादा कैफीन लेती हैं। उन्हें गर्भधारण करने में कैफीन नहीं लेनेवालों की अपेक्षा ज्यादा समय लगता है।
इसलिए, अगर आप कुछ महीनों से परिवार को बढ़ाने की तैयारी में लगे हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल रही है तो चाय, कॉफी, कोला और कोकोआ में पाए जानेवाले कैफीन की मात्रा कम से कम ले, खासतौर पर तब जब आप रोजाना 200 मिली ग्राम से ज्यादा कैफीन का उपभोग कर रहे हों।
नर्चर आईवीएफ सेंटर की ी रोग विशेषज्ञ और प्रसूति विज्ञानी डॉ. अर्चना धवन बजाज का कहना है कि कैफीन की ज्यादा मात्रा का सेवन करने वालों को प्रजनन संबंधी समस्याओं से लेकर गर्भपात तक की समस्या हो सकती है। इसलिए महिलाओं को उन खाने-पीने की उन चीजों का कम सेवन करना चाहिए, जिसमें ज्यादा मात्रा में कैफीन पाया जाता है, खासतौर पर जब वे गर्भधारण की अवस्था में हो या गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हों।
डॉ. धवन आगे बताती हैं कि गर्भवती महिलाओं को न सिर्फ कैफीन के सेवन से बचना चाहिए, बल्कि इसकी जगह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक चीजों जैसे शराब या चीनी से भरपूर सॉफ्ट ड्रिंक आदि से भी बचना चाहिए।
योग एवं आयुर्वेद
ये वर्कआउट्स डिप्रेशन से लड़ने में हैं मददगार, मूड को रखते हैं हैप्पी
नई दिल्ली। भागमभाग वाली जीवनशैली, काम का बोझ, खानपान व अन्य तनावों के चलते आजकल लोग डिप्रेशन में आ जाते हैं, जिसके चलते कभी-कभी हादसे भी हो जाते हैं। डिप्रेशन से लड़ने में कई वर्कआउट्स काफी मददगार साबित हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं, डिप्रेशन में किस तरह के वर्कआउट्स फायदेमंद हैं-
- रनिंग
रनिंग करने से बॉडी में डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे हॉर्मोन्स का सिक्रिशन होता है और कोर्टिसोल का लेवल घटता है जो स्ट्रेस बढ़ाने वाला हॉर्मोन होता है। तनाव की स्थिति में ये हॉर्मोन ज्यादा बनने लगता है, तो रनिंग इसे कम करने में प्रभावी है। रनिंग से मसल्स बनने के साथ ही हार्ट व ब्रेन भी हेल्दी रहता है।
- वेट लिफ्टिंग
वेट लिफ्टिंग के जरिए भी हल्के-फुल्के तनाव और अवसाद के लक्षणों से निपटा जा सकता है। वेट ट्रेनिंग के दौरान पूरा फोकस हाथों और शरीर पर होता है बाकी दूसरी चीज़ों पर ध्यान ही नहीं जाता। वेट लिफ्टिंग से मसल्स टोन्ड और स्ट्रॉन्ग होती है। ओवरऑल बॉडी फिट नजर आती है।
- योगा
बिना दौड़भाग के की जाने वाली बहुत ही बेहतरीन फिजिकल एक्टिविटी है योगा। तरह-तरह के शारीरिक मुद्राएं, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और मेडिटेशन शरीर के साथ आपके दिमाग पर भी काम करती हैं। तनाव दूर करने के लिए मेडिटेशन का सुझाव एक्सपर्ट्स भी देते हैं। योग के महज 1/2 घंटे के अभ्यास से ही आपको अच्छा फील होगा।
- धूप का सेवन
धूप का सेवन तनाव, चिंता और अवसाद को दूर रखने में मददगार होता है। धूप से बॉडी में सेरोटोनिन का प्रोडक्शन होता है जो मूड को हैप्पी रखता है।
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डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सूचना मात्र हैं। अपनाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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