अन्तर्राष्ट्रीय
‘शार्ली हब्दो’ के कवर पेज को लेकर आलोचनाएं
पेरिस। फ्रांस की मशहूर व्यंग्यात्मक पत्रिका ‘शार्ली हब्दो’ ने एक साल पहले इसके दफ्तर पर हुए आतंकवादी हमले में मारे गए इसके पत्रकारों की याद में एक कवर कार्टून जारी किया। इस कवर को लेकर देश में जबर्दस्त आलोचनाएं हो रही हैं। बुधवार के विशेष संस्करण में पत्रिका के कवर पेज पर एक क्रोधित देवता की तस्वीर छापी गई, जिसके हाथों पर खून लगा है और पीठ पर एक कलाश्निकोव (रूस निर्मित मशीनगन) बंधी है।
इस कवर के जरिए हमलावरों के धर्म की ओर इशारा किया गया है। इसके शीर्षक में लिखा गया है, “एक साल बाद भी हत्यारा फरार है।” कैथोलिक चर्च इन फ्रांस (सीईएफ) के लिए पत्रिका के कवर पर बना यह कार्टून ‘बेमतलब का उकसावा’ है। कैथोलिक चर्च इन फ्रांस की ओर से ट्विटर पर लिखा गया, “सीईएफ उकसाने वाली चीज पर टिप्पणी नहीं करता है। क्या फ्रांस को इस तरह के विवाद की जरूरत है?”
बिशप ऑफ गैप के माय लॉर्ड डी फैल्को ने समाचार चैनल बीएफएमटीवी से बातचीत में कहा, “धर्म क्या है? वे लोग हैं और किसी को भी समाचारपत्र को नुकसान पहुंचाने का हक नहीं है। वे इन संपादकीयों में रुचि नहीं लेते होंगे।”
अन्तर्राष्ट्रीय
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’
नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।
रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”
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