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अन्तर्राष्ट्रीय

उत्तर कोरिया पर पाबंदी के पक्ष में अमेरिका और दक्षिण कोरिया

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सियोल। अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया के चौथे परमाणु परीक्षण के बाद उसके खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाने पर सहमति जताई है। दोनों देश इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र के सख्त प्रतिबंध के पक्ष में हैं। सियोल के अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच यह सहमति दोनों देशों के राष्ट्रपतियों की फोन पर हुई बातचीत के बाद बनी।

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क ग्येन हे ने करीब 20 मिनट की बातचीत के बाद उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़े व व्यापक प्रतिबंध से संबंधित संयुक्त राष्ट्र के एक सख्त प्रस्ताव के पक्ष में सहमति जताई। उत्तर कोरिया ने बुधवार को हाइड्रोजन बम के सफल परीक्षण का ऐलान किया था। यह उत्तर कोरिया का चौथा परमाणु परीक्षण है। पार्क से बातचीत के दौरान ओबामा ने दक्षिण कोरिया की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई। पार्क ने ओबामा की इस प्रतिबद्धता की प्रशंसा करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका के साथ निकट सहयोग की उम्मीद जताई।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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