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अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर, चुनौती से निपटना जरूरी : थरूर
नई दिल्ली| कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा और इसके विकास पर भरोसा जताया है और कहा कि तेज विकास के लिए बिजली किल्लत और लालफीताशाही जैसी चुनौतियों से निपटना होगा। यहां रविवार को अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘बियोंड द वाशिंगटन कंसेंसस : पब्लिक पोलिसी एंड फ्यूचर ऑफ डेवलपमेंट असिस्टेंस’ में थरूर ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक आर्थिक मंदी के दिनों में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
उन्होंने कहा, “विदेशों में रहने वाले भारतीय देश के प्रति वफादार हैं। वे लगातार निवेश कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि अधिकांश निवेश खाड़ी देशों में रहने वाले भारतवंशी कामगारों ने किया है।
उन्होंने कहा कि देश में बचत करने की आदत ने भी मंदी के प्रभाव से अर्थव्यवस्था को बचाया है।
थरूर ने कहा कि 2008 के मुंबई आतंकी हमले से एक उभरती आर्थिक शक्ति की भारतीय छवि को धक्का लगा था, जिसके कारण कुछ निवेशकों ने अपनी पूंजी बाजार से निकाल ली थी।
उन्होंने कहा, “मुंबई आतंकी हमले के बाद विदेशी निवेशकों ने 12 अरब डॉलर की पूंजी बाजार से निकाल ली थी, फिर भी इस संकट से समझदारी से निपटने के कारण निवेशक वापस लौट आए हैं।”
सम्मेलन का आयोजन ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने किया।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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