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अन्तर्राष्ट्रीय

भारत, ब्रिटेन जलवायु परिवर्तन से मिलकर निपटेंगे

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लंदन।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन में उनके समकक्ष डेविड कैमरन ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई। ऊर्जा सहयोग बढ़ाने के संबंध में दोनों देशों के बीच एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। साझा बयान के मुताबिक, “जलवायु परिवर्तन इस सदी की वैश्विक चुनौतियों में से एक है, जिसका राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।”

कैमरन और मोदी ने दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग बढ़ाने और विद्युत बाजार सुधार, ऊर्जा दक्षता, तटीय पवन, सौर ऊर्जा, स्मार्ट ग्रिड, ऊर्जा भंडारण और ऑफ ग्रिड नवीकरणीय ऊर्जा सेवाओं जैसे क्षेत्रों में भावी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए गुरुवार को ज्ञापन (एओयू) पर हस्ताक्षर किए।

दोनों नेताओं ने दिसंबर 2015 में पेरिस जलवायु सम्मेलन में युनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएपसीसीसी) के तहत व्यापक समझौते के लिए मिलकर काम करने के लिए भी प्रतिबद्धता जताई है।

दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त नवीकरणीय ऊर्जा अनुसंधान केंद्रों के लिए रिसर्च काउंसिल्स यूके और भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से एक करोड़ पाउंड के संयुक्त वित्त का ऐलान किया। इस तरह भारत-ब्रिटेन ऊर्जा अनुसंधान कार्यक्रम की कुल लागत छह करोड़ पाउंड है।

कैमरन ने ग्रीन इन्वेस्टमेंट बैंक के साथ यूके ब्रिटेन निवेश उपक्रम का ऐलान किया, जिससे भारत और अफ्रीका में नवीकरणीय ऊर्जा एवं ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं में कुल 20 करोड़ पाउंड का निवेश होगा। उन्होंने भारत के ऊर्जा क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर सुधारों में मदद के लिए एक करोड़ पाउंड की लागत वाली पंचवर्षीय योजना का भी ऐलान किया।

कैमरन ने वर्ष 2050 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कम से कम 80 प्रतिशत की कटौती करने की ब्रिटेन की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।

मोदी ने भी 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सजर्न में कम से कम 80 प्रतिशत तक की कटौती करने की भारत की प्रतिबद्धता जताई।

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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