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तिहाड़ की सुरक्षा में लगी सेंध, कैदी हुआ फरार, केंद्र ने मांगी रिपोर्ट

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नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने सोमवार को तिहाड़ केंद्रीय कारागार से दो कैदियों के फरार होने की घटना में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं, वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय ने घटना के संबंध में जेल अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। इधर, जेल प्रशासन ने भी विचाराधीन कैदी फैजान (19) और जावेद ऊर्फ रिंकू (18) के 27 जून को तिहाड़ की जेल संख्या सात से फरार होने की घटना में आंतरिक जांच शुरू कर दी है।

उपराज्यपाल ने जिलाधिकारी अंकुर गर्ग को जेल तोड़ने, सुरंग बनाने तथा कैदियों के भागने की घटना की जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि तिहाड़ जेल के उप महानिरीक्षक मुकेश प्रसाद (डीआईजी) ने कहा कि कैदियों ने न तो कोई दीवार तोड़ी और न ही कोई सुरंग बनाया। प्रसाद ने कहा कि दोनों आरोपी दीवार फांद कर फरार हो गए, इसके लिए उन्होंने यहां सड़क बनाने के दौरान लोक निर्माण विभाग (पीड्ब्ल्यूडी) के कामगारों द्वारा जमा किए गए कचड़े का सहारा लिया।

उन्होंने बताया कि जेल प्रशासन की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, दो कैदी जेल संख्या सात में वार्ड संख्या चार के ब्लॉक संख्या एक स्थित बैरक संख्या पांच से 27 जून को फरार हो गए। प्रसाद ने कहा, “वे दोनों जेल संख्या आठ में गए। ऐसा लगता है कि दोनों मलबे के सहारे जेल संख्या आठ की दीवार पर चढ़े। एक कैदी दूसरे के कंधे पर चढ़कर दीवार के ऊपरी स्तर तक पहुंचा और फिर उसने नीचे मौजूद कैदी को तौलिए की मदद से ऊपर खींच लिया।”

तिहाड़ के डीआईजी ने बताया कि दीवार से फांदने के बाद दोनों जेल नंबर सात के पास नहर में कूद गए। जावेद तैर कर फरार हो गया, जबकि फैजान को नहर के पास पकड़ लिया गया। प्रसाद ने बताया कि दोनों 27 जून की सुबह हाजिरी के वक्त मौजूद थे, लेकिन शाम के वक्त लापता थे। उन्होंने कहा, “उनके गायब होने पर अलार्म बजाया गया। सभी वार्ड और बैरक की जांच की गई। इस बीच, हमारी टीम ने फैजान को पकड़ लिया, जब वह नहर पार करने की कोशिश कर रहा था।”

प्रसाद ने बताया कि दोनों पर लूटपाट, चोरी, डकैती तथा अन्य मामलों में सुनवाई चल रही है। उन्होंने बताया, “वे उन 21 मुसलमान युवकों में थे, जिन्होंने बैरक संख्या पांच में विशेष ‘रोजा’ वार्ड में रखा गया है, ताकि वे रमजान के दौरान नमाज अदा कर सकें।” डीआईजी ने कहा कि जेल प्रशासन ने जेल संख्या-तीन के अधीक्षक एम.के.द्विवेदी की निगरानी में आंतरिक जांच शुरू कर दी गई है। इधर, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने घटना के संबंध में रिपोर्ट मांगी है।

जांच में यह जानने की कोशिश की जाएगी कि किस वजह और परिस्थिति के कारण दोनों कैदी फरार हो गए। इसमें दिल्ली के कारावासों में सुरक्षा की समग्र समीक्षा की जाएगी, घटना को लेकर जिम्मेदारी तय की जाएगी तथा जेल प्रशासन को ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के उपाय सुझाए जाएंगे। प्रसाद ने कहा कि दक्षिणी दिल्ली के देवली के फैजान को 24 जून को तथा मदनपुर खदार के जावेद को दो जून को जेल में बंद किया गया था। उन्होंने बताया, “फैजान नवंबर 2014 में पहली बार चोरी के मामले में यहां लाया गया था, लेकिन पिछले दिसंबर में उसे जमानत मिल गई थी। जावेद को पहले भी दो से अधिक बार यहां लाया जा चुका है।”

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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