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खेल-कूद

केन्या में डोपिंग मामलों के पीछे लैब की कमी : जोस हर्मेस

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नई दिल्ली| नीदरलैंड्स के पूर्व विश्व रिकॉर्डधारी धावक जोस हर्मेस के अनुसार, केन्या में हाल में सामने आए डोपिंग के कई मामलों के पीछे वहां प्रयोगशालाओं की कमी का होना है।

हाल ही में दो बार की शिकागो मैराथन विजेता केन्या की रिटा जेप्टू डोपिंग में संदिग्ध पाई गईं।

जेप्टू से पहले 2012 में मैथ्यू किसोरियो को डोपिंग का दोषी पाए जाने के बाद दो वर्ष का प्रतिबंध झेलना पड़ा। किसोरियो हाफ मैराथन में सबसे कम समय निकालने के मामले में तीसरे स्थान पर रह चुकी हैं।

इसी वर्ष के शिकागो मैराथन में जेप्टू के बाद दूसरे स्थान पर रहीं जेमिना सुमगोंग पर भी 2012 में डोप टेस्ट में असफल रहने के कारण दो वर्ष का प्रतिबंध लगाया गया था, हालांकि बाद में निर्णय बदल दिया गया।

लगातार डोपिंग के मामले सामने आने के बाद लंबी दूरी की रेस में प्रतिष्ठित हो चुके केन्या की छवि धूमिल हुई है और इससे केन्या में डोप टेस्ट प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।

हर्मेस की ग्लोबल स्पोर्ट्स कम्युनिकेशंस कई अफ्रीकी एथलीटों को प्रबंधन सेवाएं उपलब्ध कराती है।

हर्मेस ने आईएएनएस से कहा, “जेप्टू के डोपिंग का संदिग्ध पाए जाने की खबर चौंकाने वाली है।”

हर्मेस ने बताया कि जेप्टू के नमूने में इरिथ्रोप्रोटीन (ईपीओ) पाया गया, जिसका निर्माण वैसे तो मानव शरीर में प्राकृतिक तौर पर गुर्दे करते हैं, लेकिन क्षमता बढ़ाने के लिए इसे इंजेक्शन के जरिए सीधे रक्त में पहुंचाया जा सकता है।

हर्मेस ने बताया कि मौजूदा समय में अधिकांश एथलीट इसके कारण डोप टेस्ट में पकड़े जाते हैं।

हर्मेस ने कहा, “केन्या में डोपिंग पर नियंत्रण रख पाना बहुत मुश्किल है, क्योंकि वहां रक्त की जांच के लिए प्रयोगशाला ही नहीं हैं। जांच के लिए रक्त के नमूने यूरोप भेजे जाते हैं और इस तरह रक्त के नमूने ले जाना भी काफी मुश्किल होता है।”

उन्होंने कहा, “केन्या में लंबी दूरी की रेस काफी लोकप्रिय हो चुकी है और बड़ा व्यवसाय बन चुका है। वहां इसकी अनेक प्रतिस्पर्धाएं आयोजित की जाती हैं। इसलिए वहां चिकित्सक इसका फायदा उठाते हुए एथलीट्स से कहते हैं कि यदि वे उनका परामर्श मानते हैं तो वे कहीं तेज दौड़ सकते हैं।”

हर्मेस ने चिकित्सकों पर दोषारोपण करते हुए कहा, “अधिकांश एथलीट पर्याप्त शिक्षित नहीं होते और वे गलत चीजों में फंस जाते हैं। इसलिए सारा दोष इन चिकित्सकों का है, क्योंकि वे जो कर रहे हैं वह पूरी तरह गलत है।”

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सचिन तेंदुलकर की सुरक्षा में तैनात जवान ने खुद को गोली मारकर की आत्महत्या

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मुंबई। सचिन तेंदुलकर की सुरक्षा में तैनात राजकीय रिजर्व पुलिस बल (एसआरपीएफ) के एक जवान ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली है। सीआरपीएफ जवान प्रकाश गोविंदा कापड़े जामनेर के गणपती नगर में अपने घर छुट्टी पर आए थे। उन्होंने कथित तौर पर खुद अपने गले में आधी रात के बाद गोली मारी। जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई।

पुलिस सुत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यह घटना करीब 2 बजे हुई। मृतक के आत्महत्या करने के पीछे का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। इस घटना के बारे में जब पुलिस से बातचीत कई गई तो पुलिस ने बताया कि यह घटना 14 मई की रात की है। उसने आत्महत्या क्यों की इसके कारण अभी स्प्ष्ट नहीं हो पाए हैं। मगर प्राथमिकी जांच में लगता है कि कापड़े ने कुछ निजी कारणों से खुद को गोली मारी मगर अभी हम पूरी जांच का इंतजार कर रहे हैं।

पुलिस ने आगे बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। इसके अलावा जामनेर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है और इसके साथ ही मृतक के परिवार के लोगों, उसके सहकर्मियमों और अन्य जान पहचाने के लोगों के पूछताछ शुरु कर दी गई है। आपको बता दें कि मृतक प्रकाश कापड़े मंत्री छगन भुजबल और नारायण राणे के बॉडीगार्ड के तौर पर भी काम कर चुके हैं।

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