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अन्तर्राष्ट्रीय

भारत और चीन के बीच हस्ताक्षरित समझौतों की सूची

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बीजिंग,भारत और चीन के प्रधानमंत्रियों,चेंगदू और चेन्नई में वाणिज्य दूतावास,स्पेश को-ऑपरेशन आउटलाइन

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बीजिंग | भारत और चीन के प्रधानमंत्रियों के बीच शुक्रवार को हुई मुलाकात के बाद यहां पर दोनों देशों के बीच 24 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। दोनों देशों के बीच हुए समझौतों की सूची निम्नलिखित है :

* चेंगदू और चेन्नई में वाणिज्य दूतावास की स्थापना पर प्रोटोकॉल और ग्वांगझू में भारत के महावाणिज्य दूतावास का विस्तार कर इसमें यांग्शी प्रांत शामिल करने पर सहमति बनी।

* दोनों देशों के बीच व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए।

* गुजरात के अहमदाबाद/गांधीनगर में कौशल विकास और उद्यमिता के लिए महात्मा गांधी नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्किल डेवेलपमेंट एंड अांट्रप्रनर्शिप की स्थापना में सहयोग के लिए एक कार्य योजना बनाई जाएगी।

* व्यापार वार्ताओं में सहयोग के लिए परामर्शी तंत्र हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर।

* भारत के विदेश मंत्रालय और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की केंद्रीय समिति के अंतर्राष्ट्रीय विभाग के बीच सहयोग बढ़ाया जाएगा।

* रेलवे क्षेत्र (2015-16) में सहयोग बढ़ाने के लिए कार्य योजना पर सहमति।

* शिक्षा के क्षेत्र में आदान-प्रदान कार्यक्रमों पर सहमति।

* खनन और खनिज के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाए जाने पर सहमति।

* स्पेश को-ऑपरेशन आउटलाइन (2015-2020) पर सहमति।

* भारतीय सरसों के आयात पर स्वास्थ्य और सुरक्षा नियमन को लेकर प्रोटोकॉल, प्रसारण के क्षेत्र में दूरदर्शन और चाइना सेंट्रल टेलीविजन के बीच सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी।

* पर्यटन के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता हुआ।

* भारत-चीन थिंक टैंक फॉरम के गठन के लिए सहमति।

* भारत सरकार के नीति आयोग और चीन के डेवेलपमेंट रिसर्च सेंटर के बीच सहयोग बढ़ाया जाएगा।

* भारत के भू-विज्ञान मंत्रालय और चीन के भूकंप प्रशासन के बीच भूकंप विज्ञान और भूकंप रोधी इंजिनियरिंग के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी है।

* समुद्र विज्ञान, महासागरीय प्रौद्योगिकी, जयवायु परिवर्तन, ध्रुवीय विज्ञान और सायरोफर के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर।

* जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, भारत के खनिज मंत्रालय और चीन के जिओलॉजिकल सर्वे तथा अन्य संबंधित विभागों के साथ जिओसाइंस के क्षेत्र में सहयोग पर सहमति बनी।

* भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों के बीच मिलकर राज्यों/प्रांतों के नेताओं की फोरम के गठन पर समझौता हुआ।

* कर्नाटक सरकार और चीन के सिशुआं प्रांत की सरकार के बीच सिस्टर स्टेट/ प्रांत रिलेशन स्थापित करने पर सहमति।

* चेन्नई और चीन के चोन्किंग के बीच सिस्टर सिटी का संबंध स्थापित स्थापित करने पर सहमति।

* भारत के शहर हैदराबाद और चीन के किंग्दाओ के बीच सिस्टर सिटी का संबंध स्थापित करने पर सहमति।

* भारत के औरंगाबाद और चीन दुनहुआंग के बीच सिस्टर सिटी का संबंध बनाया जाएगा।

* भारत के इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस और चीन के फूदान विश्वविद्यालय के बीच गांधीवादी और भारतीय अध्ययन पर केंद्र स्थापित करने को लेकर सहमति।

* इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस और युनां मिन्जु विश्वविद्यालय के बीच योग कॉलेज की स्थापना पर सहमति।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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