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SC का ऐतिहासिक फैसला, गर्भवती अविवाहित महिला को गर्भ गिराने की इजाजत दी

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SC asked on Article 370 - accepted India's sovereignty, then what is the claim of autonomy?

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में 24 हफ्ते की गर्भवती अविवाहित महिला को भी गर्भ गिराने की इजाजत दे दी। जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें यह बोलते हुए महिला को राहत नहीं दी गई थी कि कानून में यह अधिकार विवाहित महिलाओं के लिए ही है।

देश की सबसे बड़ी अदालत ने नसीहत देते हुए कहा कि कोर्ट का काम है अपनी बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल करना। कोर्ट कोई कंप्यूटर नही है कि सिर्फ मशीनी फैसला दे दे। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि कानून विवाहित महिलाओं की तरह अविवाहित लड़कियों को भी गर्भपात का समान अधिकार देता है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में महिला के विवाहित और अविवाहित होने का मुद्दा उठाया था। याचिका में कहा गया था कि कानून अविवाहित महिला के मामले में कुछ नहीं कहता है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि कानून अविवाहित महिलाओं को मेडिकल प्रक्रिया के जरिए गर्भपात के लिए समय देता है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने गर्भपात पर जताई थी आपत्ति

इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अविवाहित महिला को 23 हफ्तों का गर्भ गिराने की इजाजत देने में शुक्रवार को आपत्ति जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि ऐसा भ्रूण की हत्या के बराबर है।

हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून अविवाहित महिलाओं को मेडिकल प्रक्रिया के जरिए गर्भपात के लिए समय देता है। विधायिका ने आपसी सहमति से संबंध को किसी मकसद से ही उन मामलों की श्रेणी से बाहर रखा है जहां 20 हफ्तों से 24 हफ्तों के बीच गर्भपात की इजाजत है।

कोर्ट ने कहा था- बच्चे को जन्म दो

चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह टिप्पणी गर्भपात की इजाजत के लिए महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने सुझाव दिया था कि याचिकाकर्ता को तब तक कहीं सुरक्षित जगह पर रखा जा सकता है, जब तक कि वह बच्चे को जन्म न दे दे। बाद में वह उसे गोद लेने के लिए छोड़ सकती है।

चीफ जस्टिस शर्मा का कहना था कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि लड़की को कहीं सुरक्षित जगह रखा जाए। इसके बाद वह डिलीवरी कराके वहां से जा सके।

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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