Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

अन्तर्राष्ट्रीय

ऑस्ट्रेलिया 21 फरवरी से शर्तों के साथ अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए खोलेगा सीमाएं

Published

on

Loading

ऑस्ट्रेलिया के प्रधान मंत्री स्कॉट मॉरिसन ने सोमवार को घोषणा करते हुए कहा कि देश 21 फरवरी से पूरी तरह से टीकाकरण वाले पर्यटकों के लिए अपनी सीमाएं खोल देगा। अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए ऑस्ट्रेलियाई सीमाओं को फिर से खोलना लगभग दो साल के अंतराल के बाद कोरोनावायरस बीमारी (कोविड -19) के कारण समाप्त हो जाएगा। ये दुनिया के सबसे लंबे समय तक चलने वाले महामारी यात्रा प्रतिबंधों में से एक।

 

मॉरिसन ने संवाददाताओं से कहा, “लगभग दो साल हो गए हैं जब हमने ऑस्ट्रेलिया की सीमाओं को बंद करने का फैसला किया है।” उन्होंने कहा,”ऑस्ट्रेलिया इस साल 21 फरवरी को सभी शेष वीज़ा धारकों के लिए हमारी सीमाओं को फिर से खोल देगा।”

 

शर्त की बात करते हुए पीएम ने कहा,”शर्त यह है कि ऑस्ट्रेलिया आने के लिए आपको दोहरा टीका लगवाना होगा। यही नियम है। सभी से इसका पालन करने की अपेक्षा की जाती है।”

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

Published

on

Loading

नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

Continue Reading

Trending