आध्यात्म
मकर संक्रांति के दिन भूल से भी न करें ये काम, वरना नहीं आएगी भगवान की कृपा
नई दिल्ली।आज पूरे देश में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व जितना पवित्र होता है उससे कहीं ज्यादा आस्था और उल्लास का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसे में अगर आप चाहते है कि आपसे कोई चूक न हो, तो ये 5 काम भूल से भी भूलकर न करें।
1. मकर संक्रांति के दिन किसी भी तरह के नशे के सेवन से बचना चाहिए। इस दिन आप भूलकर भी शराब, सिगरेट, गुटका आदि किसी भी तरह के नशे का सेवन ना करें। अगर आप ये काम नहीं करते हैं तो भगवान की कृपा आएगी।
2. मकर संक्रांति के दिन कभी भी किसी भिखारी, साधु या बुजुर्ग या किसी अन्य याचक को घर से खाली हाथ ना जाने दें। अगर आप इस दिन किसी गरीब को खाना खिलाते हैं तो भगवान की कृपा आप पर बनी रहेगी।
3. मकर संक्रांति के दिन भूलकर भी गुस्सा नहीं करना चाहिए। इस दिन अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए और दूसरों से मधुर बोल ही बोलने चाहिए।
4. मान्यता है कि इस दिन चाहे घर के अंदर हो या बाहर पेड़ों की कटाई या छंटाई नहीं करनी चाहिए। इसके लिए आप कोई भी और दिन चुन सकते हैं।
5 . अगर आप सूर्य देव की कृपा पाना चाहते हैं तो शाम के समय यानी सूरज ढलने के बाद इस दिन भोजन ना करें।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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