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जानिए क्यों खाए जाते हैं मकरसंक्रांति पर तिल के लड्डू, वजह है हैरान कर देने वाली!
नई दिल्ली। मकरसंक्रांति का त्यौहार जप, तप, श्राद्ध, दान, स्नान, तर्पण का पर्व है। इस बार भी ये पर्व 14 जनवरी को मनाया जायेगा। कहा जाता है कि मकर संक्रांति पर किया गया दान अक्षय फलदायी होता है, अर्थात इस दिन किए गए दान का फल सौ गुना होकर मिलता है।
अधिकांश लोगों का मानना है,कि त्योहारों में तला भुना खाकर अपनी सेहत को खराब कर लेते हैं। तो आइये जानते हैं, मकरसंक्रांति में क्यों खाए जाते हैं तिल-गुड़ के लड्डू…
तिल-गुड़ के लड्डू- मकर संक्रांति के समय तिल के लड्डू घर घर बनाए जाते हैं। तिल के लड्डू पेट के लिए बहुत गुणकारी होते हैं, ये कब्ज, गैस और एसिडटी को खत्म करते हैं। ठंड के मौसम में ये लड्डू शरीर में आवश्यक गर्माहट पैदा करने में विशेष रूप से सहायक है।
महिलाओं से सम्बंधित परेशानियों में भी ये लड्डू लाभकारी होते है। पाचन में मदद करते है और शरीर में खून की मात्रा को भी बढ़ाते हैं। ये बालों एवं त्वचा के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।
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रायबरेली में होगी अमेठी से भी बड़ी हार, बीजेपी का राहुल गांधी पर निशाना
लखनऊ। कांग्रेस ने रायबरेली और अमेठी से उम्मीदवार कौन होगा? इसपर सस्पेंस खत्म कर दिया है। पार्टी ने शुक्रवार को नामांकन के आखिरी दिन नई लिस्ट जारी कर इन दोनों सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का एलान कर दिया है। कांग्रेस ने अमेठी से केएल शर्मा को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस की पारंपरिक सीट रायबरेली से खुद राहुल गांधी चुनाव लड़ेंगे। इसके बाद भाजपा ने राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर निशाना साधा है।
उपमुख्मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘राहुल गांधी और गांधी परिवार में अमेठी-रायबरेली से चुनाव लड़ने का साहस नहीं हो रहा है, लेकिन किसी ने उन्हें (राहुल गांधी) समझाया होगा कि पिछली बार सोनिया गांधी इतने मतों से जीत गई थीं इसलिए आप अमेठी न जाकर रायबरेली चलिए। रायबरेली में राहुल गांधी की अमेठी से भी बड़ी पराजय होने जा रही है। हम ये दोनों सीटें तो बहुत बड़ें नंबर से जीतेंगे ही साथ ही उत्तर प्रदेश की 80 की 80 सीटें भी जीतेंगे’
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि राहुल गांधी पहले अमेठी छोड़कर वायनाड भाग गए थे, अब वायनाड छोड़कर रायबरेली आ गए हैं, रायबरेली के लोग उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेंगे। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी पारी को लेकर जिस तरह का माहौल बना है, वही कारण है कि कांग्रेस पहले तो तय नहीं कर पा रही थी कि क्या करना चाहिए। पिछली बार राहुल गांधी अमेठी से हार कर केरल की तरफ भागे थे। अब वायनाड से हार की आशंका देखते हुए रायबरेली आ गए। उत्तर प्रदेश का माहौल मोदीमय हो चुका है। हम पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ने जा रहे हैं… रायबरेली की जनता भी उनका(राहुल गांधी) इंतजार कर रही है कि कांग्रेस ने पीएम मोदी के बारे में जो भी हल्की बातें कही हैं उसका हिसाब उन्हें देना पड़ेगा।’
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