आध्यात्म
इन राशि के लोग करते हैं अपनी मां से बेहद प्यार, आप भी जानें यहां
मां का रिश्ता दुनिया में सबसे ज्यादा अनमोल होता हैं। पूरी दुनिया में एक मां ही होती है जो कभी भी अपने बच्चों के बारे बुरा नहीं सोचती हैं। वैसे तो हर बच्चा अपनी मां को प्यार करता है और जीवन भर उनकी सेवा करते है। लेकिन आज हम आपको हम बताएंगे वो दो राशि के लोग बारे में जो अपनी मां से बेहद प्यार करते है।
जिन 2 राशियों के लोग अपनी मां से बेहद प्यार करते है। वह राशियां मिथुन और तुला राशि है। इन राशियों के लोग अपनी मां से बेहद प्यार करते है। और अपनी मां की खुशी के लिए कुछ भी कर सकते है। ये लोग जीवन भर अपने माता-पिता की सेवा करते है। ऐसे लोग सिर्फ अपने काम पर ध्यान देते हैं।
इनके आसपास के लोगों को आकर्षित करने की कोशिश करेंगे। जीवन साथी के प्रति अपने प्यार को गहरा करने के लिए अपने प्यार को व्यक्त करे। अपने जीवनसाथी को हमेशा दिल की गहराई से देखिए। यह समय आपका रोमांस भरा रहेगा। दांपत्य जीवन खुशियों से परिपूर्ण होगा।
आने वाले समय में आप बहुत उन्नति करेंगे। और सफलता की नई बुलंदियां हासिल करेंगे। जीवन में किसी भी परिस्थिति से भागने की बजाय उसका डटकर सामना करे।
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आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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