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इस कलियुग में आज भी जिंदा हैं पौराणिक काल के यह तीन महान गुरु
भारतीय संस्कृति में एक व्यक्ति के जीवन मे गुरु का महत्वपूर्ण रोल होता है। मां-पिता जी के बाद समाज के लायक हमें हमारे गुरु ही बनाते है। वैसे तो गुरु का ऋण हम कभी चुका नहीं सकते है। लेकिन, हमारी संस्कृति हमे आज मौका जरूर देती है कि गुरु के प्रति हम अपना आदर और सम्मान प्रगट कर सके जिसके लिए आषाढ़ महीने की शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह गुरू पूर्णिमा 27 जुलाई यानि आज ही है। गुरु पूर्णिमा के मौके पर हम आपको भारत के दस उन महान गुरुओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका आदर न सिर्फ देवता करते थे बल्कि दानव भी उनसे शिक्षा ग्रहण करते थे।
महर्षि वेदव्यास – प्राचीन भारतीय ग्रन्थों के अनुसार महर्षि वेदव्यास को प्रथम गुरु का दर्जा प्राप्त है। तभी तो गुरु पूर्णिमा वेदव्यास को समर्पित है। महर्षि वेदव्यास भगवान विष्णु के अवतार माने जाते थे। इनका पूरा नाम कृष्णदै्पायन व्यास था। महर्षि वेदव्यास ने ही वेदों, 18 पुराणों और महाकाव्य महाभारत की रचना की थी।
महर्षि वाल्मीकि – रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी। महर्षि वाल्मीकि कई तरह के अस्त्र-शस्त्रों के आविष्कारक माने जाते हैं। भगवान राम और उनके दोनो पुत्र लव-कुश महर्षि वाल्मीकि के शिष्य थे।
गुरु द्रोणाचार्य – महाभारत में धृतराष्ट्र और गांधारी के 100 पुत्रों और राजा पांडु के 5 पुत्र इनके शिष्य थे। द्रोणाचार्य एक महान धनुर्धर गुरु थे गुरु द्रोण का जन्म एक द्रोणी यानि एक पात्र में हुआ था और इनके पिता का नाम महर्षि भारद्वाज था और ये देवगुरु बृहस्पति के अंशावतार थे। अर्जुन और एकलव्य ये दोनो श्रेष्ठ शिष्य थे।
गुरु विश्वामित्र – विश्वामित्र महान भृगु ऋषि के वंशज थे। विश्वामित्र के शिष्यों में भगवान राम और लक्ष्मण थे। विश्वामित्र ने भगवान राम और लक्ष्मण को कई अस्त्र-शस्त्रों का पाठ पढ़ाया। एक बार देवताओं से नाराज होकर उन्होंने अपनी एक अलग सृष्टि की रचना कर डाली थी।
परशुराम – परशुराम आज भी जीवित गुरु है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कलयुग में भी वह जीवित है। परशुराम के शिष्यों में भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे योद्धा का नाम शामिल है।
दैत्यगुरु शुक्राचार्य – गुरु शुक्राचार्य राक्षसो के देवता माने जाते है उनका असली नाम शुक्र उशनस है। गुरु शुक्राचार्य ने दानवों के साथ देव पुत्रों को भी शिक्षा दी। देवगुरु बृहस्पति के पुत्र कच इनके शिष्य थे।
गुरु वशिष्ठ – गुरु वशिष्ठ की गिनती सप्तऋषियों में भी होती है। सूर्यवंश के कुलगुरु वशिष्ठ थे जिन्होंने राजा दशरथ को पुत्रेष्टि यज्ञ करने के लिए कहा था जिसके कारण भगवान राम,लक्ष्मण,भरत और शुत्रुघ्न का जन्म हुआ था। इन चारों भाईयो ने इन्ही से शिक्षा- दीक्षा ली थी।
देवगुरु बृहस्पति – बृहस्पति को देवताओं के गुरु की पदवी प्रदान की गई है। देवगुरु बृहस्पति रक्षोघ्र मंत्रों का प्रयोग कर देवताओं का पोषण एवं रक्षा करते हैं तथा दैत्यों से देवताओं की रक्षा करते हैं। युद्ध में जीत के लिए योद्धा लोग इनकी प्रार्थना करते हैं।
गुरु कृपाचार्य – गुरु कृपाचार्य कौरवों और पांडवों के गुरु थे। भीष्म ने इन्हें पाण्डवों और कौरवों को शिक्षा-दिक्षा देने के लिए नियुक्ति किया था। कृपाचार्य अपने पिता की तरह धनुर्विद्या में निपुण थे। कृपाचार्य को चिरंजीवी होने का वरदान भी प्राप्त था। राजा परीक्षित को भी इन्होंने अस्त्र विद्या का पाठ पढ़ाया था।
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भाजपा का परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहता है: अखिलेश यादव
एटा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एटा में सपा प्रत्याशी देवेश शाक्य के समर्थन में संविधान बचाओ रैली को संबोधित किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा और लोकतंत्र बचेगा तो वोट देने का अधिकार बचेगा। अखिलेश यादव ने दावा किया कि ये अग्निवीर व्यवस्था जो लेकर आए हैं इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तो अग्निवीर व्यवस्था समाप्त कर पहले वाली व्यवस्था लागू करेंगे।
उन्होंने आरक्षण मामले पर आरएसएस पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के साथ एक सबसे खतरनाक परिवार है, जो आरक्षण खत्म करना चाहता है। अब उन्हें वोट चाहिए तो वह कह रहे हैं कि आरक्षण खत्म नहीं होगा।
उन्होंने आगे कहा कि मैं पूछना चाहता हूं अगर सरकार की बड़ी कंपनियां बिक जाएंगी तो क्या उनमें आरक्षण होगा? उनके पास जवाब नहीं है कि नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं? लोकसभा चुनाव संविधान मंथन का चुनाव है। एक तरफ वो लोग हैं जो संविधान को हटाना चाहते हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन और समाजवादी लोग हैं जो संविधान को बचाना चाहते हैं। यह चुनाव आने वाली पीढ़ी के भविष्य का फैसला करेगा। वो लोग संविधान के भक्षक हैं और हम लोग रक्षक हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि एटा के लोगों को भाजपा ने बहुत धोखा दिया है। इनका हर वादा झूठा निकला। दस साल में एक लाख किसानों ने आत्महत्या की है। उनकी आय दोगुनी नहीं हुई। नौजवानों का भविष्य खत्म कर दिया गया है। हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है।
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