आध्यात्म
गुरू पूर्णिमा पर कीजिए सरलतम और प्रमाणिक विधि से पूजन, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं
नई दिल्ली। मानव जीवन में गुरू का बड़ा महत्व होता है। भारतीय लिखित परंपरा में तो गुरू को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है। इसलिए हमारी संस्कृति में एक दिन गुरू को समर्पित है, इस दिन को हम ‘गुरू पूर्णिमा’ के नाम से जानते हैं। आषाढ़ मास में गुरु पूर्णिमा पड़ती है। इस दिन को शास्त्रों में बेहद खास माना गया है, क्योंकि इस दिन गुरू की पूजा की जाती है। इस बार गुरु पूर्णिमा 27 जुलाई 2018 (शुक्रवार) को पड़ रही है। गुरु पूर्णिमा के दिन अगर कोई भी व्यक्ति सही तरीके से गुरू पूजा विधी का पालन करे, तो उसके जीवन में किसी भी तरह का दुख नहीं होगा। अब आपको प्रमाणिक पूजन विधि के लिए किसी चमकती हुई वेबसाइट पर जाने की ज़रूरत नहीं हैं। हम बताएंगें आपको गुरू पूर्णिमा पर शास्त्रों में लिखी पूजन विधि के बारे में।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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