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मानसून सत्र : ‘जिन्ना हाउस’ को लेकर केंद्र सरकार ने संसद में कही ये बड़ी बात, सुनकर हैरान रह जाएंगे आप

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केंद्र सरकार ने शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 में भले ही संशोधन किया हो, लेकिन इस संशोधन का मुंबई के मालाबार हिल्स में स्थित मोहम्मद अली जिन्ना के घर पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। मुंबई स्थित जिन्ना हाउस शत्रु अधिनयम-1968 के दायरे में नहीं आता, बल्कि यह भारत सरकार की संपत्ति है।

सोमवार को लोकसभा में अश्विनी कुमार के प्रश्न के लिखित उत्तर में गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगराम अहीर ने यह जानकारी दी। सदस्य ने सवाल किया गया था कि क्या सरकार मोहम्मद अली जिन्ना हाउस को शत्रु संपत्ति मानती है?

हंसराज अहीर ने कहा कि,”जिन्ना का घर भारत सरकार की संपत्ति है और इसे गिराने या किसी को बेचने का सवाल ही नहीं उठता है। यह घर निष्क्रांत संपत्ति अधिनियम की धारा 1950 के अंतर्गत आता है।”

अली जिन्ना ने 1936 में इस घर को बनवाया था। उस वक्त इसके निर्माण पर 2 लाख रुपए खर्च हुए थे। जिन्ना को अपने इस बंगले से खासा लगावा था लेकिन बंटवारे के बाद उन्हें यह घर छोड़ना पड़ा। बंटवार के बाद जिन्ना पाकिस्तान चले गए। यह बंगला मुंबई के मालाबार हिल इलाके में स्थित है और इसके पास ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का निवास है।

जिन्ना चाहते थे कि इसे किसी विदेशी कांसुलेट ( खासतौर से उनकी पसंद किसी यूरोपियन दूतावास को देने की थी) को दे दिया जाए। जवाहरलाल नेहरू जी ने जिन्ना की बात मानकर उन्हें तीन हजार रुपए मासिक किराया देने का ऑफर दिया था। लेकिन जिन्ना की मौत सितंबर 1948 होने के कारण यह डील फाइनल नहीं हो पाई थी। जवाहर लाल नेहरू ने इस बंगले को शत्रु संपत्ति घोषित नहीं किया था।

नेशनल

अगर बीजेपी सत्ता में आई तो गरीबों, आदिवासियों और दलितों से उनके अधिकार छीन लिए जाएंगे : राहुल गांधी

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भिंड। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश के भिंड में एक जनसभा को संबोधित करते हुए बीजेपी और पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। राहुल गांधी ने कहा कि अगर बीजेपी केंद्र की सत्ता में लौटती है तो वह गरीबों, दलितों, आदिवासियों और ओबीसी को अधिकार देने वाले संविधान को फाड़ कर फेंक देगी। उन्होंने संविधान की एक प्रति हाथ में लेते हुए कहा कि मौजूदा लोकसभा चुनाव कोई सामान्य चुनाव नहीं है, बल्कि दो विचारधाराओं के बीच की लड़ाई है। उन्होंने संविधान की प्रति को दिखाते हुए कहा कि ये देश के गरीब लोगों की आत्मा है, इसको दुनिया की कोई शक्ति छूने वाली नहीं है। ये बीजेपी वाले सपने देख रहे हैं।

राहुल ने कहा कि अगर बीजेपी आरक्षण के खिलाफ नहीं है तो पब्लिक सेक्टर का प्राइवेटाइजेशन क्यों किया जा रहा है? अग्निवीर योजना क्यों लाए। कांग्रेस नेता ने कहा कि पीएम, अमित शाह और उनके एमपी ने मन बना लिया है कि अगर वो चुनाव जीतेंगे, तो इस किताब को फाड़ कर फेंक देंगे, उन्होंने कहा कि लड़ाई यही है। राहुल ने कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की मूर्ति प्रतिष्ठा समारोह के दौरान केवल अमीर लोग और मशहूर हस्तियां मौजूद थीं, गरीब मजदूर या किसान नहीं। कांग्रेस नेता कहा कि उनकी पार्टी और I.N.D.I.A के घटक दल संविधान को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजादी और संविधान का मसौदा तैयार होने से पहले गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और किसानों के पास कोई अधिकार नहीं था और 1950 में कानून लागू होने पर उन्हें ये अधिकार दिए गए।

राहुल गांधी ने आगाह किया कि अगर बीजेपी फिर से सत्ता में आती है तो गरीबों, आदिवासियों और दलितों को प्राप्त अधिकार लागू नहीं रहेंगे और मनरेगा, भूमि अधिकार, आरक्षण, पेंशन व अन्य कल्याणकारी उपाय जैसी योजनाएं भी खत्म हो जाएंगी। वायनाड से सांसद गांधी ने दावा किया, “प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उनके सांसदों ने मन बना लिया है कि अगर वे चुने गए, तो वे संविधान को फाड़ कर फेंक देंगे। बीजेपी चाहती है कि संविधान को फेंक दिया जाए और केवल 20-25 अरबपतियों को देश चलाना चाहिए।”

कांग्रेस नेता ने कहा कि संविधान ने दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों और अन्य जातियों के गरीब लोगों को आवाज दी। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने पहले ही खुले तौर पर घोषणा कर दी है कि यदि उनकी पार्टी चुनाव जीतती है, तो वे संविधान को बदल देंगे।
उन्होंने समाज के वंचित वर्गों के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के मुद्दे पर भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा। राहुल ने आरोप लगाया, ” वे (भाजपा) कहते हैं कि वे आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं। यदि आप आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, तो आप सार्वजनिक क्षेत्र, रेलवे का निजीकरण क्यों कर रहे हैं। आप अग्निवीर योजना क्यों लाए? ये सभी काम आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ हैं।” कांग्रेस नेता ने दावा किया कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने 22 से 25 लोगों के 16 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ कर दिए हैं। यह राशि किसानों के 25 वर्षों तक लोन माफ करने और 24 वर्षों तक मनरेगा के तहत लाभ दिए जाने के लिए पर्याप्त थी।

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