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अन्तर्राष्ट्रीय

परमाणु वार्ता के तहत अमेरिका-ईरान की बैठक

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जेनेवा | ईरान के विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम को लेकर एक व्यापक समझौते तक पहुंचने के लिए ईरान और अमेरिका के बीच मतभेदों को दूर करने के उद्देश्य से स्विट्जरलैंड के लुसाने शहर में दोनों देशों के राजनयिकों के बीच नए दौर की वार्ता की जा रही है। समझौते के लिए समय सीमा मार्च के आखिर तक निर्धारित की गई है। आईआरएनए समाचार एजेंसी की शुक्रवार की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जारीफ और उनके अमेरिकी समकक्ष जॉन केरी ने गुरुवार को छठे और सातवें दौर की बैठक की।

जारीफ ने गुरुवार को संवाददाताओं को बताया कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर किसी शांतिपूर्ण समझौते के लिए जब तक बातचीत की आवश्यकता होगी, वह लुसाने में ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता आखिरी दौर में है और इसके लिए अधिक गहन वार्ता की जरूरत है। ईरान के उप विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची और अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री वेंडी शेरमन, ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रमुख अली अकबर सालेही और अमेरिका के ऊर्जा मंत्री अर्नेस्ट मोनिज ने भी अलग-अलग बैठकें कीं। ईरान और पी5+1समूह (अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी) के अधिकारियों ने बुधवार को लुसाने में नए दौर की वार्ता की। यह वार्ता अमेरिका और ईरान के शीर्ष राजनयिकों के बीच रविवार को हुई गहन बैठक के बाद हुई है। पी+1 समूह और ईरान शुक्रवार को बैठक कर सकते हैं, जिसमें 31 मार्च की अंतिम अवधि से पहले समझौता करने की कोशिश की जाएगी।

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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