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अन्तर्राष्ट्रीय

पहाड़ काटकर बनाया जा रहा है यह एयरपोर्ट, खर्च हो रहे हैं इतने रुपये कि जानकर हैरान हो जाएंगे आप

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चीन अक्सर अपने कंस्ट्रक्शन से दुनिया को चौकाता रहता है। दुर्गम से दुर्गम जगहों पर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना चीन के लिए बाएं हाथ का खेल है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चीन में समुद्र तल से 5900 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ के ऊपर नया एयरपोर्ट तैयार किया जा रहा है।

साभार – इंटरनेट

डायनामाइट से तोड़े जा रहे हैं पहाड़ – ये एयरपोर्ट चॉन्गकिंग के वुशान टाउन के बाहरी इलाके में 15 किलोमीटर दूरी पर पहाड़ के टॉप पर बन रहा है। इसमें डोमेस्टिक एयरपोर्ट के लिए 2600 मीटर लंबा और 45 मीटर चौड़ा एक रनवे होगा। एयरपोर्ट पर 5 प्लेन के लिए खड़े होने की जगह होगी।

इस प्रोजेक्ट के डिप्टी डायरेक्टर लियाओ हाओबो के मुताबिक, कंस्ट्रक्शन के सबसे बिजी दिन में साइट पर एक समय में 2000 वर्कर्स और 800 मशीनें काम कर रही होती हैं।

साभार – इंटरनेट

ये पूरा पहाड़ी इलाका है, जिसके चलते कंस्ट्रक्शन के लिए पहाड़ों को डायनामाइट से तोड़ा जा रहा है और फिर इन्हें मशीनों से काटकर समतल किया जा रहा है।

वुशान सरकार के मुताबिक, ये प्रोजेक्ट छह साल पहले शुरू किया गया था और जून के आखिर तक इसके पूरा होने की उम्मीद है। यहां सर्विसेज अगले साल से शुरू होंगी।

साभार – इंटरनेट

एयरपोर्ट बनाने का मकसद – वुशान एयरपोर्ट को चॉन्गकिंग जियांगबेई इंटरनेशनल एयरपोर्ट का ट्रैफिक डायवर्ट करने के मकसद से तैयार किया जा रहा है। पिछले साल चॉन्गकिंग एयरपोर्ट ने करीब 4 करोड़ पैसेंजर्स को हैंडल किया था।

इस एयरपोर्ट को लोकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिहाज से भी काफी अहम माना जा रहा है। इसके जरिए यहां मौजूद मशहूर गॉडेस पीक और तीन खूबसूरत डैम भी लोग देखने के लिए पहुंचेंगे।

साभार – इंटरनेट

2020 तक वुशान एयरपोर्ट करीब 280,000 पैसेंजर्स और लगभग 1,200 टन सामान की ढुलाई को हैंडल करने लगेगा। यहां से बीजिंग, शंघाई, गुआंगझोऊ, चॉन्गकिंग और चीन के मुख्य शहरों के लिए फ्लाइट्स होंगी।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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