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ऑपरेशन ब्लू स्टार इस रिक्शेवाले की वजह हुआ था सफल, आज पीएम मोदी भी लेते हैं सलाह
नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल को अगर इंडियन जेम्स बांड कहा जाए तो गलत नहीं होगा। ये इंडियन जेम्स बॉन्ड न ही कारों के ऊपर दौड़ता है, न ही अपने हाथ में बन्दूक रखता है और न हसीनाओं से फ्लर्ट करता है लेकिन अपनी हिम्मत और दिमाग से जासूसी की दुनिया का बादशाह बन चुका है। अजीत डोवाल का नाम सुनकर पाकिस्तान भी खौफ खाता है। वह सात साल तक पाकिस्तान में मुसलमान बनकर रहे और किसी को भनक तक नहीं लगने दी कि वह एक भारतीय जासूस हैं। इस दौरान वह वहां की गोपनीय सूचनाएं भारत को भेजते रहे।
जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर हुए आतंकी हमले को नाकाम करने का श्रेय भी अजीत डोवाल को जाता है। अजीत डोवाल स्वर्ण मंदिर में एक रिक्शे वाला बनकर घुसे और आतंकियों की इन्फॉर्मेशन इकठ्ठा करते रहे। दरअसल डोवाल एक रिक्शे वाला बनकर कई महीनों से आतंकियों के बीच में रह रहे थे और उन्हें पूरी जानकारी थी कि आतंकियों के पास कैसे हथियार और वह कितना नुक्सान पहुंचा सकते हैं। अजीत डोवाल ने ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ से पहले खालिस्तानी आतंकवादियों से अहम जानकारियां इकट्ठा करते हुए उसे सेना को बता दिया।
अजीत डोवाल ने इतनी चालाकी से इस आपरेशन को अंजाम दिया कि आतंकियों को पता ही नहीं चला कि ये कोई रिक्शेवाला नहीं बल्कि एक जासूस है। वर्तमान में डोभाल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं और पीएम मोदी के दाहिने हाथ माने जाते हैं। पीएम मोदी को भी डोवाल पर पूरा भरोसा है।
2015 में भी भारतीय सेना मणिपुर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दे चुकी है जिसके हेड प्लानर डोवाल ही थे। जनवरी 2016 में पठानकोट पर कुछ आतंकियों ने हमला कर दिया था और इसके खिलाफ भारत की ओर से काउंटर ऑपरेशन चलाया गया था जिसका सफलतापूर्वक नेतृत्व भी डोवाल ने ही किया था। जून 2014 में इस्लामिक स्टेट (IS) ने 46 भारतीय नर्सों को बंधी बनाकर रखा था लेकिन डोवाल के प्रयासों से उन सभी नर्सों को सुरक्षित भारत ले आया गया।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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