नेशनल
रेलयात्री सावधान, ज्यादा सामान ले कर चढ़े तो देने होगा 6 गुना जुर्माना
नई दिल्ली। देश में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए सबसे सस्ता माध्यम ट्रेन है। ट्रेन का किराया अन्य माध्यमों से काफी सस्ता होता है। जिसका लोग अक्सर गलत फायदा उठाने लगते हैं। अकसर देखा गया है कि रेल में यात्रा के दौरान लोग अकेले ही ढेर सारा सामान लेकर चढ़ जाते हैं जिससे अन्य यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
ऐसे में कई दफा यात्रियों के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है। रेलवे अब लोगों की इस परेशानी को दूर करने के लिए अपने नियमों को और अधिक कड़ा करने जा रहा है।
रेलवे भी अब विमान यात्रा की तरह ही ट्रेन में सीमा से अधिक सामान ले जाने पर जुर्माना लगाने की तैयारी में है। इस बारे में रेलवे का कहना है कि ट्रेन डिब्बों में अत्यधिक सामान ले जाने को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों के मद्देनजर भारतीय रेल ने अपने तीन दशक पुराने सामान अनुज्ञा नियम को सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है।
इस नियम के तहत यात्री अगर सीमा से अधिक सामान लेकर यात्रा करते हैं तो उन्हें जुर्माने की तय राशि से 6 गुना अधिक जुर्माना देना होगा। आपको बता दें कि निर्धारित मानदंड के अनुसार स्लीपर क्लास और सेकेंड क्लास में यात्री बिना अतिरिक्त भुगतान किए क्रमश : 40 किलोग्राम और 35 किलोग्राम तक सामान ले जा सकते हैं और पार्सल कार्यालय में अतिरिक्त भुगतान कर वे क्रमश: 80 किलोग्राम और 70 किलोग्राम सामान ले जा सकते हैं।
इस बारे में रेल बोर्ड के सूचना एवं प्रचार निदेशक वेद प्रकाश ने कहा, ‘‘अगर यात्री को निर्धारित सीमा से अधिक सामान बिना बुक कराए ले जाते पाया गया तो सामान पर निर्धारित राशि से छह गुना अधिक भुगतान करना होगा। यह कदम यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित करने और डिब्बों के अंदर होने वाली भीड़ से निपटने के लिए उठाया गया है।’’
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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