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अन्तर्राष्ट्रीय

उत्तर कोरिया से नए सिरे से बातचीत चाहता है सियोल

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सियोल| दक्षिण कोरिया के नए एकीकरण मंत्री हांग यांग-प्यो ने सोमवार को कहा कि वह उत्तर कोरिया के साथ बातचीत करने के लिए अधिक प्रभावी तरीका तलाशेंगे। दोनों देशों के बीच रिश्ते बिगड़े हुए हैं। समाचार एजेंसी ऐफे के मुताबिक, हांग ने अपने पहले संबोधन में कहा, “मैं बातचीत के लिए किसी भी मौके को हाथ से नहीं निकलने दूंगा।” उन्होंने कहा, “उत्तर कोरिया के साथ बातचीत, आदान-प्रदान और सहयोग मेरे लिए और एकीकरण मंत्रालय के लिए एक बहुत ही जरूरी काम है।” हांग उत्तर कोरियाई मुद्दों के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्तों को सुधारने के लिए उनकी सरकार का रवैया लचीला रहेगा।

उन्होंने हालांकि यह स्पष्ट किया कि यदि उत्तर कोरिया की ओर से राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हे की प्रशासनिक नीति के अनुरूप यदि कोई दुराचार होता है तो दक्षिण कोरिया की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया होगी। हांग ने एकीकरण के लिए नरम स्वर में दोनों कोरियाई देशों की संयुक्त तैयारियों का समर्थन किया। नए एकीकरण मंत्री का बयान ऐसे समय में आया है जब उत्तर कोरिया के साथ संबंध पूरी तरह टूट चुके हैं। उल्लेखनीय है कि इसी माह के प्रारंभ में अमेरिका और दक्षिण कोरियाई सेना ने दक्षिण कोरिया के इलाकों में सैन्य अभ्यास किया था, जिसके बाद तनाव और बढ़ गया था।

किम जोंग-उन शासन ने इस अभ्यास को उत्तर कोरिया के खिलाफ आक्रमण की तैयारी समझा और बीते शुक्रवार को दो मिसाइलों के परीक्षण किए। उत्तर और दक्षिण कोरिया, कोरियाई युद्ध (1950-53) के समय से तकनीकी रूप से युद्ध की स्थिति में रहे हैं, जिसका अंत एक स्थायी शांति संधि के बजाय युद्ध विराम के साथ हुआ था।

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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