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1000 साल पुरानी सोने की मूर्ति से निकला इंसान, आगे की कहानी जानकर वैज्ञानिकों का दहला दिल

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1000 साल

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कभी-कभी हमें ऐसी खबरें सुनने को मिलती हैं जिसे सुनने के बाद इंसान को अपने कानों पर यकीन नहीं होता। नीदरलैंड्स के एक आर्ट मार्केट में चीन के मंदिर से सोने की मूर्ति लाई गई। यह मूर्ति करीब 1000 साल पुरानी सोने से बनी ध्यान में लीन एक बौध संन्यासी की थी। हालांकि मूर्ति यहां कब और कैसे आई इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है।

1000 साल

साभार इंटरनेट

जिन लोगों को एंटीक चीजों का शौक है उनके लिए यह मूर्ति बेशकीमती थी। विशेषज्ञों ने जब उसे करीब से देखा, तो उन्हें कुछ खटका। उन्होंने तुरंत मूर्ति पर रिसर्च करना स्टार्ट कर दिया।

रिसर्च के शुरुआत में भी शोधकर्ताओं की नजर ऐसी चीज पर पड़ी कि उन्हें अपनी ही आंखों पर भरोसा ना रहा… इटली, जर्मनी और नीदरलैंड्स के वैज्ञानिकों ने मिलकर शोध शुरू किया।

1000 साल

साभार इंटरनेट

जब वैज्ञानिकों ने इस मूर्ति का सीटी स्कैन किया तो सबके होश फाख्ता हो गए। जांच के दौरान पाया गया कि वह कोई मामूली मूर्ति नहीं थी। उसके अंदर एक मानव शरीर था। दरअसल, वह एक बौध भिक्षु की प्रिजर्व की गई बॉडी थी।

वैज्ञानिकों के मुताबिक बौध भिक्षु की उम्र 30 से 50 साल के बीच है। मूर्ति के अंदर मानव शरीर की चमड़ी और मांसपेशियां भी सुरक्षित थीं। एंडोस्कोप के जरिए शरीर के अंदर से सैंपल लिए गए तो पाया गया कि उस बौध भिक्षु के सारे अंग निकाल दिए गए थे और उनकी जगह कागज ठूंसा गया था।

1000 साल

साभार इंटरनेट

दरअसल, मूर्ति के अंदर मौजूद बौध भिक्षु ने करीब 1200 साल पहले खुद को एक गुफा में कैद कर लिया था। फिर प्राणायाम अवस्था में वह ध्यान में लीन हो गए। यह घटना करीब 14वीं शताब्दी की है।

इतिहासकारों का मानना है कि संन्यासी की मौत के बाद चीन के मंदिर में उनकी पूजा होने लगी। इसके करीब 200 साल बाद उनके अनुयायियों ने उनके शरीर को सुरक्षित रखने के लिए सारे अंग निकाल दिए और शरीर को ममी बनाकर उस पर सोने की परत चढ़ा दी गई।

हजारों साल पहले जापान, थाईलैंड और चीन में बौध संन्यासी समाधी लेते थे। यह मूर्ति बौध भिक्षु Liuquan की ममी है। वर्तमान में इसे बुडापेस्ट के नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में रखा गया है।

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भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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