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गन्ना किसानों का बकाया करीब 30,000 करोड़ रुपए होने का अनुमान : एनएफसीएसएफ
नई दिल्ली। कभी आप सुना है कि अधिक उत्पादन की वजह से दिक्कत हो। जी…मामला बिल्कुल साफ है। यहां मामला है गन्ना किसानों और मिल मालिकों के बीच का। यहां पर किसानों ने गन्ने का अधिक उत्पादन किया और मिल मालिकों ने चीनी का। पर चीनी की कीमतों में गिरावट की वजह से मिल मालिकों को चीनी बेचने में दिक्कत हो रही है। जिस वजह उन्हें किसानों का पैसा देने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसान तो बेचारे न घर का है न घाट का। मिल मालिकों और गन्ना किसानों दोनों की निगाहें इस वक्त सिर्फ सरकार की तरफ है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) ने कहा कि देशभर की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया करीब 20,000 करोड़ रुपए हो गया है और आगे चालू पेराई सीजन में बकाये की राशि बढ़कर 30,000 करोड़ रुपए तक पहुंच जाने का अनुमान है।
एनएफसीएसएफ के मुताबिक, घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में गिरावट से चीनी मिलें नकदी की समस्या से जूझ रही हैं और किसानों को गन्ने की कीमतों का भुगतान करने में विफल साबित हो रही है।
चीनी उद्योग संगठनों ने सरकार से चीनी निर्यात पर 1,000 रुपए प्रति कुंतल अनुदान व प्रोत्साहन की मांग की है। सहकारी चीनी मिलों के एक शीर्ष अधिकारी ने को बताया कि पहली बार सरकार इस बात से सहमत हुई है कि देश का चीनी उद्योग संकट में है और उद्योग व गन्ना किसानों की समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि सरकार ने चीनी मिलों को उनकी समस्याओं का समाधान करने का भरोसा दिलाया है।
सहकारी एवं निजी क्षेत्र की चीनी मिलों के संगठनों के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक कर उद्योग के मौजूदा हालात से उन्हें अवगत कराया।
बैठक में मौजूद नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के महानिदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा, “पहली बार हम अधिकारियों से यह कबूल करवाने में कामयाब हुए कि देश में चीनी उद्योग और गन्ना उत्पादकों पर आगे संकट बढ़ने वाला है। चालू पेराई सीजन 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी का रिकॉर्ड 310 लाख टन उत्पादन होने की उम्मीद है और इसके बाद अगले सीजन में भी उत्पादन बढ़ने की पूरी संभावना है, क्योंकि देशभर में 51 लाख हेक्टेयर में गन्ना खड़ा है, जो अगले सीजन में आएगा।”
एनएफसीएसएफ ने एक विज्ञप्ति में बताया कि 12 अप्रैल तक देश की चीनी मिलों ने 2,775 लाख टन गन्ने (पिछले साल के मुकाबले 49 फीसदी अधिक) की पेराई कर 296 लाख टन (पिछले साल से 53 फीसदी अधिक) चीनी का उत्पादन किया।
उन्होंने कहा कि कम से कम 40-50 लाख टन चीनी निर्यात होने पर ही उद्योग की हालत सुधरेगी और चीनी मिलें किसानों को गन्ने के दाम देने की स्थिति में होंगी।
नाइकनवरे ने बताया कि एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष दिलीप वलसे पाटील, निजी चीनी मिलों के शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अध्यक्ष गौरव गोयल, उपाध्यक्ष रोहित पवार, महानिदेशक अविनाश वर्मा, इंडियन शुगर एक्सिम कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक व सीईओ अधीर झा, ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन के चेयरमैन प्रफुल्ल विठलानी व अन्य प्रतिनिधियों ने खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के सचिव रविकांत, संयुक्त सचिव सुरेश कुमार वशिष्ठ, निदेशक (चीनी) जी. एस. साहू के साथ शुक्रवार को कृषि भवन आयोजित एक बैठक में अधिकारियों को बताया कि चीनी मिलों के पास नकदी की किल्लत है, जिस कारण वे किसानों को गन्ने की कीमतें देने की स्थिति में नहीं हैं।
उन्होंने कहा, “हमने अधिकारी को बताया कि चीनी की कीमतें बाजार में कम होने से मिलों को नुकसान हो रहा है और भाव में सुधार के लिए चीनी का निर्यात जरूरी है। हमने सरकार को बताया कि भारतीय बाजार के मुकाबले अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी 1,000 रुपए प्रति कुंतल सस्ती है। ऐसे में 1,000 रुपए प्रति कुंतल अनुदान व प्रोत्साहन मिलने पर ही हम निर्यात करने की स्थिति में होंगे।”
उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने उद्योग संगठनों को समस्या का समाधान करने का भरोसा दिलाया है। नाइकनवरे ने कहा, “हम चाहते हैं कि चीनी निर्यात के लिए जो भी उपाय की जाए, वह जल्द हो, ताकि बरसात से पहले निर्यात का मार्ग सुगम हो सके।”
उन्होंने आगे कहा, “अगर देश से चीनी का निर्यात नहीं होगा तो अगले पेराई सीजन 2018-19 में कई चीनी मिलें नकदी की किल्लत से पेराई शुरू भी नहीं कर पाएंगी, क्योंकि उन्हें बैंक भी कर्ज देने के लिए तैयार नहीं हैं। बैंक चीनी मिलों से पहले लिए गए कर्ज का भुगतान करने को कहते हैं।”
इनपुट आईएएनएस
नेशनल
दिल्ली के स्कूलों की जांच में कुछ नहीं मिला, पुलिस बोली- ई-मेल्स और कॉल्स फर्जी
नई दिल्ली। दिल्ली के स्कूलों में बम होने के धमकी भरे ईमेल के बाद जांच की गई तो वहां कुछ नहीं मिला। पुलिस अधिकारियों ने भी इसे होक्स ईमेल बताया है, लेकिन उन्होंने कहा कि चेकिंग जारी रहेगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह फर्जी कॉल है। दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां प्रोटोकॉल के मुताबिक जरूरी कदम उठा रही हैं।
वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली के कुछ स्कूलों को बम की धमकी वाले ई-मेल मिले। दिल्ली पुलिस ने प्रोटोकॉल के तहत ऐसे सभी स्कूलों की गहन जांच की। कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिल। ऐसा प्रतीत होता है कि ये कॉल्स फर्जी हैं। हम जनता से अनुरोध करते हैं कि वे घबराएं नहीं और शांति बनाए रखें।
स्कूल में आए इस धमकी भरे ईमेल के बाद कई स्कूलों ने बच्चों की जल्द छुट्टी का मैसेज पेरेंट्स को भेज दिया, तो कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल जाकर पहले ही ले आए। इसके अलावा कई स्कूल के प्रिंसिपल ने पेरेंट्स को मैसेज भेज कर कहा कि घबराने की बात नहीं है।
नोएडा में इंद्रप्रस्थ ग्लोबल स्कूल (आईपीजीएस) की प्रिंसिपल निकिता तोमर मान ने बताया, “मैं लोगों से आग्रह करूंगी कि वे अनावश्यक घबराहट पैदा न करें और इस स्थिति को एक परिपक्व वयस्क के रूप में लें। दिल्ली-एनसीआर के जिन स्कूलों को धमकियां मिलीं, उन्हें खाली करा लिया गया है और हमारे सहित बाकी स्कूल सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। कोई धमकी भरा संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।”
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