अन्तर्राष्ट्रीय
अपने नागरिकों के साथ खतरनाक गेम खेल रहा है चीन, जनता की आज़ादी दांव पर
चीन में एक अनोखा प्रयोग किया जा रहा है। इसमें नागरिकों की गतिविधियों के आधार पर उनको नंबर या पॉइंट दिए जा रहे हैं जिसके मुताबिक एक सोशल क्रेडिट सिस्टम तैयार किया जाएगा। इस क्रेडिट सिस्टम से यह तय होगा कि किसी शख्स को तमाम जरूरी सुविधाएं दी जाएं या नहीं। यह खबर इस लिहाज से अहम तो है ही कि सरकारें किस तरह नागरिकों के जीवन पर नियंत्रण करती जा रही है वहीं इसका दूसरा सिरा इंटरनेट पर आपकी जानकारी की चोरी से भी जुड़ा है, क्योंकि नागरिकों के बारे में तमाम छोटी-बड़ी जानकारी उन्हीं कंपनियों से मिल रही है जिनकी सेवाएं आप ऑन लाइन या ऑफ लाइन लेते रहते हैं।
ज्यादा ऑनलाइन गेम खेलेंगे तो कटेंगे नंबर
इसे आप ऐसे समझें, कोई ऑनलाइन गेमिंग कंपनी सरकार को आपके बारे में यह बता दे कि आप रोज चार या पांच घंटे गेम खेलते हैं और सरकार आपको आलसी मानते हुए सोशल क्रेडिट रेटिंग में आपको कम नंबर दे। इतना ही नहीं, इसके बाद सरकार राष्ट्र निर्माण में आलस दिखाने के अपराध में आपका नाम ब्लैक लिस्ट में शामिल कर ले। आपको पता तब चलेगा जब अगली बार आप किसी फ्लाइट का टिकट बुक करने लगें और वहां आपको इसी आधार पर टिकट देने से मना कर दिया जाए।
जी हां, चीन में यह प्रयोग 2014 से चल रहा है, इसे 2020 तक लागू किया जाना है। चीन के बाहर और भीतर भी इस पर काफी चर्चा हो रही है। चीन के प्रशासन का मानना है कि सरकार देश में भरोसे, विश्वास और जिम्मेदारी के वातावरण को बढ़ावा देने के लिए ऐसा कर रही है। इस व्यवस्था में दोषी लोगों को दंडित किया जाएगा और अच्छा प्रदर्शन करने वालों को ईनाम मिलेगा।
ऑनलाइन शॉपिंग से डेटा जुटाया
भारत और तमाम दूसरे देशों में सिबिल स्कोर या क्रेडिट रेटिंग स्कोर के आधार पर लोन की मंजूरी मिलती है। आपके वित्तीय लेन-देन से यह स्कोर तय होता है। लेकिन चीन में अगर आप चौराहे पर लाल बत्ती पार कर जाते हैं तो समझिए आपका एक नंबर कट गया। चीन में नागरिकों की रेटिंग के लिए डेटा बेस के लिए आठ कंपनियों पर निगाह रखी जा रही है। ये कंपनियां सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के तहत सोशल क्रेडिट स्कोर तैयार कर रही हैं। इनमें सबसे बड़ी है सीसेम क्रेडिट जो चीन की ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा की फाइनेंशियल विंग है। यह अपने 40 करोड़ यूजर्स के साथ दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म है और अपने कंज्यूमर्स की जानकारियों के डेटाबेस से सोशल क्रेडिट सिस्टम तैयार कर रहा है।
फिलहाल चीन में जनता को इस बात के लिए प्रेरित किया जा रहा है कि वह अपनी क्रेडिट रैंकिंग औरों के साथ शेयर करे। इसके लिए चीन की सबसे बड़ी डेटिंग साइट ने सीसेम क्रेडिट के साथ करार किया है और जिन लोगों के अच्छे क्रेडिट स्कोर हैं उन क्लाइंट्स को बेहतर सुविधा दी जा रही है।
बीबीसी के मुताबिक, चीन की सरकार किन मानकों के आधार पर यह सिस्टम बना रही है यह किसी को जानकारी नहीं है। लेकिन यह तय है कि इसमें हर नागरिक और हर संगठन को शामिल किया जाएगा। कुछ खास प्रोफेशनल जैसे टीचर, अकांउटेंट, जर्नलिस्ट, डॉक्टरों वगैरह पर इनकी कड़ी नजर रहेगी।
रेल और फ्लाइट के टिकट नहीं कर पाएंगे बुक
हाल ही में चीन में लोगों को इस सोशल क्रेडिट के आधार पर सजा भी दी गई है। चैनल न्यूज एशिया ने आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर बताया है कि चीन में लगभग एक करोड़ लोगों को कम स्कोर होने की वजह से घरेलू फ्लाइट्स के टिकट खरीदने से रोका गया है। इसी तरह लगभग 30 लाख लोगों को बिजनेस क्लास के ट्रेन टिकट लेने से रोका गया। लोगों को बिना टिकट सवारी करने, नॉन स्मोकिंग एरिया में स्मोक करने, अफवाह फैलाने पर इस तरह के प्रतिबंध का सामना करना पड़ रहा है। सजा के तौर पर उनके इंटरनेट की स्पीड कम की जा सकती है, अच्छे होटलों में बुकिंग रोकी जा सकती है, क्रेडिट कार्ड से पेमेंट की सुविधा रोकी जा सकती है वगैरह वगैरह। मीडिया खबरों के मुताबिक, ऐसे कई युवा जिन्होंने चीन की सेना में भर्ती होने से मना कर दिया था उन्हें अच्छे शिक्षण संस्थानों में एडमिशन नहीं मिला। इतना ही नहीं ऐसे माता-पिता जिनके क्रेडिट स्कोर कम हों उनके बच्चों को भी अच्छे स्कूलों में पढ़ने से रोका जा सकता है। इसके विपरीत जिन लोगों के अच्छे स्कोर हैं उन्हें बिजली के बिलों, होटल के बिलों, किरायों वगैरह में डिस्काउंट भी मिले हैं और बैंक में अच्छी ब्याज दर मिली। कुछ लोग इस व्यवस्था के समर्थन में भी दिखे, उनका कहना था कि चीन में इससे लोग अच्छा बर्ताव करने लगे हैं।
अभी पिछले दिनों खबर आई थी कि चीन में वही लोग अपने शुक्राणु या स्पर्म डोनेट कर पाएंगे जो देश की कम्युनिस्ट सरकार के प्रति अपनी वफादारी साबित कर पाएंगे। यह खबर भी चीन की इस योजना की ही झलक देती है। पहली नजर में भले ही यह बात मामूली लगे या हम इसे एक तानाशाह सरकार का नया शिगूफा कह कर खारिज कर सकते हैं, लेकिन बात इससे कहीं आगे जाती है। मुद्दा है कि क्या किसी सरकार को मनमाने तरीके से जनता के मूलभूत अधिकारों को नियंत्रित करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
दूसरी बात यह कि आज जब हम और आप कहते हैं कि हमें डेटा चोरी से क्या डर! हमारी जिंदगी तो खुली किताब है तो शायद यह नहीं समझते कि हो सकता है किसी दिन इसी किताब में लिखी लाइनों के आधार पर आपकी विश्वसनीयता तय की जाए। आप किसी साइट पर कितना गेम खेलते हैं, कौन सी पिक्चर पोस्ट करते हैं, किस साइट या पोस्ट को लाइक डिस्लाइक और फॉलो करते हैं, कौन सी चीज खरीदते हैं जब आपकी इस जानकारी के आधार पर यह निश्चित होने लगे कि आपकी आजादी छीनी जाए या बरकार रखी जाय तब शायद आपको हालात की गंभीरता समझ में आएगी।
अन्तर्राष्ट्रीय
पाकिस्तान ने IMF के आगे फिर फैलाए हाथ, की नए लोन की डिमांड
इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने आईएमएफ के सामने एक बार फिर भीख का कटोरा आगे कर दिया है। पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ ने आईएमएफ की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा से मुलाकात कर उनसे नए ऋण कार्यक्रम पर चर्चा की है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान में कहा कि पीएम शहबाज की मुलाकात रियाद में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मौके पर हुई।
रियाद में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक बैठक से इतर शरीफ ने तीन अरब अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त व्यवस्था (एसबीए) हासिल करने में पाकिस्तान को समर्थन देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक जॉर्जीवा का शुक्रिया अदा किया। पाकिस्तान ने पिछले साल जून में तीन अरब अमेरिकी डॉलर का आईएमएफ कार्यक्रम हासिल किया था। पाकिस्तान मौजूदा एसबीए के इस महीने समाप्त होने के बाद एक नई दीर्घकालिक विस्तारित कोष सुविधा (ईएफएफ) की मांग कर रहा है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के नुसार, “दोनों पक्षों ने पाकिस्तान के लिए एक अन्य आईएमएफ कार्यक्रम पर भी चर्चा की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पिछले वर्ष से हासिल लाभ समेकित हो और आर्थिक वृद्धि सकारात्मक बनी रही।’’ शरीफ ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने कहा कि इस्लामाबाद जुलाई की शुरुआत तक नए कार्यक्रम पर कर्मचारी स्तर का समझौता हासिल कर सकता है। यदि पाकिस्तान को यह मदद मिल गई तो उसको आईएमएफ की ओर से यह 24वीं सहायता होगी।
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