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शर्मनाक : 15 साल की बच्ची बनी मां, रिश्ते का पिता ही बना इस बच्चे का बाप

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां 15 साल की नाबालिग बच्ची ने एक बच्चे को जन्म दिया है। जब बच्ची से उसके बाप का नाम पूछा गया तो उसका जवाब सुनकर हर कोई हैरान रह गया। बच्ची को इस हाल में ले जाने वाला कोई और नहीं उसका सगा बाप है। फिलहाल आरोपी फरार है। पुलिस उसकी तलाश में दबिश दे रही है।

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मिली जानकारी के मुताबिक़, 15 साल की बच्ची अपनी मां की मौत के बात पिता व छोटी बहन के साथ रहती थी। पिता बढ़ई का काम करता है और छोटी बहन कक्षा दो में पढ़ रही है जो स्कूल चली जाती थी यह घर पर अकेली ही रहती थी। इसी दौरान अकेला पाकर वह बच्ची के साथ गलत काम करता था। जब बच्ची प्रेग्नेंट हो गई और प्रसवपीड़ा से तड़पने लगी, तो जो उसका पिता उसे अस्पताल में छोड़कर फरार हो गया। अब पुलिस उसकी तलाश में दबिश दे रही है।

उधर, सात माह का गर्भ होने की वजह से बच्ची की हालत गम्भीर बनी हुई है। इस मामले में आशा ज्योति केन्द्र की महिलाओं ने मां और बच्चे दोनों की ही देखरेख का जिम्मा अपने ऊपर उठाया है।

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आचार्य प्रमोद कृष्णम ने की राहुल गांधी की आलोचना, कहा- रायबरेली से चुनाव लड़कर कार्यकर्ताओं को गलत संदेश दिया

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नई दिल्ली। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने के फैसले की खुलकर आलोचना की है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी स्मृति ईरानी से डर गए। इससे कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश गया है। जो राहुल गांधी कहा करते थे कि डरो मत, आज वही राहुल गांधी डर गए।आचार्य प्रमोद कृष्णम ने आगे कहा, “पब्लिक में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में यह परस्पेशन था कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे और यह पहली बार हुआ है कि गांधी परिवार अमेठी, रायबरेली हारा, लेकिन सीट नहीं छोड़ी। संजय गांधी भी चुनाव हारे, लेकिन सीट नहीं छोड़ी, इंदिरा गांधी भी चुनाव हारी, लेकिन सीट नहीं छोड़ी। यह पहली बार हुआ है कि राहुल गांधी ने सीट छोड़ी है। इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश गया है।“

उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस कार्यकर्ताओं को यह लगता था कि राहुल गांधी डरते नहीं हैं, लेकिन अब इससे यह एक मैसेज गया है कि राहुल गांधी हारने से डर गए और अमेठी छोड़कर चले गए।“ आचार्य प्रमोद ने राहुल के फैसले पर कहा, “जब पब्लिक का परस्पेशन बदलता है, तो सब कुछ बदल जाता है। मुझे लगता है कि राहुल का यह फैसला आत्मघाती सिद्ध होगा, क्योंकि जब राहुल गांधी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एड्रेस करते थे, तो कहते थे डरो मत, पब्लिक मीटिंग को एड्रेस करते थे, तो कहते थे कि डरो मत, मीडिया से कहा करते थे कि डरो मत, तो जो व्यक्ति दूसरों से यह कहता था कि डरो मत, वो आज खुद डर गया। अब यह बड़ा सवाल बन चुका है कि राहुल गांधी इतने बड़े नेता हैं, लेकिन स्मृति ईरानी से कैसे डर गए।“

उन्होंने आगे कहा, “अब अगर उन्हें अमेठी से नहीं लड़ना था, तो देश की सबसे बड़ी सीट वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी के सामने लड़ना चाहिए था।“ वहीं, जब आचार्य से पूछा गया कि क्या राहुल के इस फैसले के पीछे कोई रणनीति है, तो इस पर उन्होंने दो टूक कह दिया कि कोई रणनीति नहीं है। इसके पीछे एक साजिश है, प्रियंका गांधी को संसद में जाने से रोकने की। पार्टी के भीतर एक बहुत बड़ी साजिश प्रियंका गांधी के खिलाफ हो रही है। उसका शिकार हुई हैं वो।“ इससे पहले शुक्रवार को कांग्रेस ने अपनी दो हाईप्रोफाइल सीट अमेठी और रायबरेली के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया। अमेठी में जहां पार्टी ने किशोरी लाल शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है, वहीं रायबरेली से राहुल गांधी पर दांव लगाया गया है।

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