अन्तर्राष्ट्रीय
इराकी बलों ने मोसुल के कस्बे को आईएस से छुड़ाया
मोसुल के कस्बे से आईएस को खदेड़ा
मोसुल। इराकी अर्धसैनिक बल हशद शबी की इकाइयों ने इराक-सीरिया सीमावर्ती इलाके के पास के इलाकों से इस्लामिक स्टेट (आईएस) को खदेड़ने के अभियान में आतंकवादियों से अल-कैरवान कस्बे पर फिर से नियंत्रण कर लिया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, जॉइंट ऑपरेशंस कमांड (जेओसी) के अब्दुल-अमीर याराल्लाह ने कहा, “हशद शबबी ने अल-किरवान और उसके चारों ओर के सभी गांवों को मुक्त करा लिया है और अब कस्बे के उत्तर और दक्षिण की मुख्य सड़क और वायुसेना अड्डा नियंत्रण में हैं।”
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बयान के अनुसार, अर्धसैनिक बलों ने सोमवार रात 10 बजे कस्बे में अभियान शुरू किया और यह संघर्ष मंगलवार सुबह लगभग पांच बजे तक जारी रहा।
सैनिकों ने सुबह आतंकियों की तलाश में पूरे कस्बे की तलाशी ली और विस्फोटक दस्ते ने कस्बे की सड़कों के किनारे लगाए गए बमों को निष्क्रिय करने का एक अभियान शुरू किया।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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