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अन्तर्राष्ट्रीय

‘गूगल ने लैंगिंक भेदभाव के मामले की रिपोर्टिग रोकने का किया प्रयास’

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लंदन, 23 मई (आईएएनएस)| गूगल ने कंपनी के लैंगिंक भेदभाव के मामले की मीडिया कवरेज को रोकने की कोशिश की, जिसमें अमेरिकी सरकार ने गूगल पर आरोप लगाया था कि उसने संघीय कानूनों का उल्लंघन करते हुए ऑडिट के दौरान अपने कर्मियों की वेतन संबंधी पिछली जानकारी और संपर्क जानकारी मुहैया नहीं करवाई। कंपनी ने अमेरिकी श्रम विभाग द्वारा दायर एक मुकदमे को खारिज करने का प्रयास किया, जिसमें दावा किया गया कि सरकारी वकील ने ‘द गार्जियन’ को इस संबंध में साक्षात्कार देकर नैतिकता के नियमों का उल्लंघन किया है।

अदालती दस्तावेजों का हवाला देते हुए, अखबार ने सोमवार को कहा कि गूगल ने असफल तरीके से तर्क दिया कि अदालत को अमेरिकी श्रम विभाग (डीओएल) द्वारा दायर मुकदमे को खारिज कर देना चाहिए।

डीओएल ने गूगल पर महिलाओं को व्यवस्थित रूप से कम वेतन देने का आरोप लगाया है। साथ ही अदालत को बताया कि वेतन के आंकड़ों को सौंपने से इनकार करते हुए गूगल ने कहा था कि डेटा अनुरोध अत्यधिक विस्तृत है और कर्मचारियों की गोपनीयता का उल्लंघन करता है।

रिपोर्ट में पाया गया कि मामले की बर्खास्तगी के लिए गूगल ने आक्रामक प्रयास किया।

आलोचकों ने कहा कि यह साफ दिख रहा है कि गूगल मीडिया रिपोर्टिग और मीडिया द्वारा की जा रही छानबीन को असामान्य चालबाजियों द्वारा सीमित करने की कोशिश कर रहा है, जो मुक्त प्रेस को लेकर चिंताओं में बढ़ोतरी करता है तथा एक कॉरपोरेशन के रूप में किए गए सार्वजनिक दावे कि वह समान वेतन को बढ़ावा देने के लिए पारदर्शिता तथा जबावदेही के साथ काम करता है, के खिलाफ है।

यह भी जानकारी दी गई है कि गूगल ने पिछले महीने सुनवाई के दौरान प्रेस को रोकने की कोशिश की थी।

रिपोर्ट में कहा गया, गार्डियन में प्रकाशित खबर को लेकर न्यायाधीश के साथ निजी मुलाकात में चर्चा करने के बाद गूगल के वकील ने अनुरोध किया कि अदालती कार्रवाई के दौरान मीडिया को बाहर निकाल दिया जाए, जिसका डीओएल के वकील ने विरोध किया और न्यायाधीश ने गूगल की दलील नहीं मानी।

गूगल बार-बार यह दावा करता है कि उसने वैश्विक स्तर पर वेतन देने में अभिनय क्षतिपूर्ति मॉडल के जरिए लैंगिक भेदभाव को खत्म कर दिया है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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