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‘बांग्लादेश में सांप्रदायिक हमलों के बाद 6 हिंदू परिवारों ने देश छोड़ा’

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'बांग्लादेशढाका | बांग्लादेश के ब्राह्मणबरिया जिले में रविवार को हुए सांप्रदायिक हमलों के बाद कम से कम छह हिंदू परिवारों को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। हमले के दौरान कई मंदिरों को तोड़ दिया गया और 100 से अधिक हिंदुओं के मकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, सन 1971 के मुक्ति संग्राम के वक्त सामूहिक जनसंहार के बावजूद देश छोड़ने को तैयार न हुए लोग रविवार को हुए हमले के बाद सोच रहे हैं कि अगर जान बचानी है, तो उन्हें देश छोड़ना ही होगा।

हमले में महिलाओं सहित लगभग 100 लोग घायल हुए हैं।

ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक हिंदू युवक राजराज दास द्वारा फेसबुक पर कथित तौर पर मानहानि की एक पोस्ट पर एक रैली के बाद लगभग 3,000 मुसलमानों ने नासिरनगर के हिंदू इलाकों में श्रृंखलागत हमलों में हिस्सा लिया। हमले से एक दिन पहले रासराज ने मुसलमानों से माफी मांगते हुए कहा था कि उसका अकाउंट हैक कर लिया गया था।

नासिरनगर के लगभग 33 फीसदी मतदाता हिंदू हैं और उन्होंने हमेशा सत्तारूढ़ अवामी लीग का साथ दिया है।

रासराज के क्षतिग्रस्त घर में ढाका ट्रिब्यून के संवाददाता को कोई नहीं मिला, क्योंकि उसके माता-पिता व भाई-बहन कहीं जाकर छिप गए हैं। रासराज के स्थानीय मित्र डर की वजह से लोगों के सामने यह स्वीकार नहीं कर रहे हैं कि वह उनका मित्र है।

कुछ परिवार पहले ही गांव छोड़कर जा चुके हैं। हिंदू समुदाय के एक बुजुर्ग ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि बीते दो दिनों के दौरान कम से कम पांच परिवार सीमा पार कर भारत जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “कई हिंदू परिवार अपना घरबार छोड़कर जा चुके हैं और गांव वापस आने से डर रहे हैं। मैं यहां हालात का मुआयना करने आया था और रात में अपने संबंधी के घर के चला जाऊंगा।”

रासराज को जानने वाले स्थानीय बुलु मियां ने कहा कि वह अच्छा लड़का था। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि उसे काबा (मक्का स्थित मुसलमानों का पवित्रतम स्थल) के बारे में पता नहीं था। जब वह एक अशिक्षित व्यक्ति है, तो फिर वह फेसबुक पर फोटो कैसे पोस्ट कर सकता है।”

शनिवार तड़के एक पोस्ट में रासराज ने फेसबुक पर मुसलमानों से माफी मांगते हुए कहा कि उसका अकाउंट हैक कर लिया गया था।

बुलु मियां ने कहा कि उन्होंने गांव में ऐसा सांप्रदायिक हमला कभी नहीं देखा। उन्होंने कहा, “यहां हिंदू व मुसलमान एक साथ रहते हैं और सभी कार्यक्रमों में साथ-साथ शरीक होते हैं।”

यह पूछे जाने पर कि क्या रासराज का किसी से झगड़ा हुआ था, बुलु मियां ने कहा कि हो सकता है कि उसने अपनी मत्स्य परियोजना के लिए कुछ मुसलमान कारोबारियोंसे ऋण लिया हो। उन्होंने कहा, “उसने हमसे कहा था कि वह ऋण लेना चाह रहा है।”

स्थानीय हिंदुओं ने कहा कि घरों को क्षतिग्रस्त करने वाले हमलावरों ने कीमती चीजें भी लूट लीं।

हिंदू समुदाय के लोगों ने कहा कि उन्हें घर से बाहर जाने में डर लग रहा है और हमले का खतरा है।

रविवार को हुए हमले को लेकर पुलिस ने 1,000 से अधिक लोगों के खिलाफ दो मामले दर्ज किए हैं।

अवामी लीग के चार सदस्यीय दल ने आयोजन सचिव ए. के. एम. इनामुल हक शमीम के नेतृत्व में क्षतिग्रस्त मंदिरों व मकानों का दौरा किया और हिंदुओं को आश्वासन दिया कि वे हालात की सूचना प्रधानमंत्री शेख हसीना को देंगे।

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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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