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अन्तर्राष्ट्रीय

अफगानिस्तान में 2 अमेरिकी जवानों की मौत

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अफगानिस्तान, तीन स्थानीय जवान, दो अमेरिकी सैनिकों की मौत

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अफगानिस्तान, तीन स्थानीय जवान, दो अमेरिकी सैनिकों की मौत

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वाशिंगटन| अफगानिस्तान के कुंदुज प्रांत में गुरुवार को 26 अफगान नागरिकों, तीन स्थानीय जवान और दो अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, अमेरिकी रक्षा कार्यालय पेंटागन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान के कुंदुज में तालिबानी ठिकाने को खाली कराने और तालिबान के खिलाफ अभियान के दौरान दो अमेरिकी सैनिकों की जान चली गई। इस दौरान चार अन्य अमेरिकी सैनिक घायल हो गए।

अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने बयान में कहा, “जिन दो जवानों की मौत हुई है और जो चार घायल हुए हैं, वे तालिबान के खिलाफ अफगान सुरक्षाबलों के साथ थे।”

इस दौरान हमारे सहयोगी कुछ अफगान सुरक्षाबलों की भी मौत हुई है।

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, इस दौरान 24 से अधिक नागरिकों की भी मौत हुई है। आशंका जताई जा रही है कि उनकी मौत अमेरिकी हवाई हमले में हुई।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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