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अन्तर्राष्ट्रीय

नेपाल के प्रधानमंत्री गोवा के लिए रवाना

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नेपाल

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नेपाल काठमांडू| नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ब्रिक्स-बिम्सटेक बैठक में हिस्सा लेने के लिए शनिवार को गोवा रवाना हो गए। यह सम्मेलन 15-16 अक्टूबर को हो रहा है। इस वर्ष चार अगस्त को प्रधानमंत्री बनने के बाद से यह प्रचंड की दूसरी भारत यात्रा है। इससे पहले वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आमंत्रण पर सितंबर में नई दिल्ली गए थे।

पांचों ब्रिक्स देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की सरकारों के प्रमुख आठवें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए गोवा में एकत्र हो रहे हैं। इस समय भारत इस गुट का अध्यक्ष है। भारत ब्रिक्स-बिम्सटेक बैठक के लिए म्यांमार, भूटान, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड के नेताओं की मेजबानी भी करेगा।

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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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