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अन्तर्राष्ट्रीय

हैती में राष्ट्रपति चुनाव 20 नवम्बर को

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हैती

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पोर्ट-ऑ-प्रिंस| हैती में काफी से लंबित राष्ट्रपति चुनाव 20 नवम्बर को होंगे। अस्थाई निर्वाचन परिषद (सीईपी) ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। पहले राजनीतिक उथल-पुथल और फिर बीते सप्ताह समुद्री तूफान मैथ्यू से हुई भारी तबाही के कारण नौ अक्टूबर को होने वाला चुनाव स्थगित करना पड़ा था।

समाचार एजेंसी के अनुसार, सीईपी ने कहा कि चुनावी तैयारी के लिए उसे कम से कम पांच सप्ताह चाहिए, क्योंकि बड़ी संख्या में मतदान केंद्र आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त या ध्वस्त हो गए हैं। इसके अलावा बाढ़ के कारण हैती के हजारों विस्थापित नागरिकों के पास उनके राष्ट्रीय पहचान पत्र नहीं हैं और उन्हें पुन: पाने या बदलने के लिए समय की जरूरत होगी।

उल्लेखनीय है कि सीईपी ने चुनाव प्रक्रिया के खिलाफ बढ़ती हिंसा और धमकियों का उल्लेख करते हुए गत 24 जनवरी को होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव को उक्त तिथि से दो दिनों पहले स्थगित कर दिया था।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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