अन्तर्राष्ट्रीय
श्रीलंका में लिट्टे धड़े का पूर्व सदस्य गिरफ्तार
कोलंबो| श्रीलंका के टेरेरिज्म इंवेस्टिगेशन डिविजन (टीआईडी) ने आतंकवादी संगठन तमिल टाइगर(लिट्टे) के धड़े के एक पूर्व सदस्य को गिरफ्तार किया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व सदस्य कृष्णापिल्लई कलैनेसन उर्फ प्रबा को पूछताछ के लिए सोमवार को बट्टिकलोवा शहर से हिरासत में लिया गया।
प्रबा टीआईडी द्वारा हाल में गिरफ्तार किया गया तीसरा हाईप्रोफाइल पूर्व विद्रोही सदस्य है । रिपोर्टों में कहा गया है कि लड़ाई खत्म होने के बाद प्रबा को पुनर्वास के बाद 2013 में रिहा कर दिया गया था।
सरकार ने आश्वस्त किया है कि श्रीलंका में तमिल टाइगर विद्रोहियों को एकजुट करने की किसी भी कोशिश को विफल कर दिया जाएगा और ऐसे समय में ही प्रबा की गिरफ्तारी हुई है। सरकारी सैनिकों ने मई 2009 में विद्रोहियों को परास्त कर देश में चल रहे 30 वर्षो के गृहयुद्ध को खत्म कर दिया था। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि इस लड़ाई के अंतिम चरणों में 40,000 नागरिक मारे गए थे।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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