आध्यात्म
श्रीकृष्ण की भांति श्री राधा जी के भी अनन्त नाम हैं
उपर्युक्त दोनों स्थलों में राधा नाम का स्पष्ट उल्लेख है। एक बात प्रमुख रूप से विचारणीय है कि श्रीकृष्ण की भांति श्री राधा जी के भी अनन्त नाम हैं। अतः अन्य स्थलों पर अन्य पर्यायवाची नामों से स्पष्ट उल्लेख भी है। यथा-
कामयामह एतस्य श्रीमत्पादरजः श्रियः।
कुचकुंकुमगंधाढ् यं मूर्ध्ना वोढुं गदाभृतः।।
(भाग. 10-83-42)
इस स्थल पर श्री राधा जी का नाम ‘श्री’ शब्द से निर्दिष्ट है। सारार्थ दर्शिनी टीकाकार विश् वनाथ चक्रवर्ती ने विस्तारपूर्वक समझाया है। जिसका तात्पर्य यह है कि द्वारिकास्थ महिषी वृंद ने श्री राधा के कुच कुंकुम युक्त चरण रज की ही स्वकामना प्रदर्शित की है। यद्यपि ‘श्री’ शब्द महालक्ष्मी के हेतु भी प्रयुक्त होता है, किन्तु महालक्ष्मी रूपा रुक्मिणी की चरण –रज तो द्वारिका में सदा प्राप्त ही थी। अतः यह ‘श्री’ शब्द केवल राधा का ही बोधक हो सकता है।
इसी प्रकार पुनः भागवत में निरूपण प्राप्त है। यथा-
आक्षिप्तचित्ताः प्रमदा रमापतेस्तास्ता विचेष्टा जगृहुस्तदात्मिकाः।
(भाग. 10-30-2)
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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