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रांग नंबर कहकर फोन काट देते आईजी जेल

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उप्र में बेलगाम नौकरशाही, जेलों के लिए की गई सरकार की नई व्यवस्था छिपा रहे अफसर, रांग नंबर कहकर फोन काट देते आईजी जेल

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उप्र में बेलगाम नौकरशाही, जेलों के लिए की गई सरकार की नई व्यवस्था छिपा रहे अफसर, रांग नंबर कहकर फोन काट देते आईजी जेल

राकेश यादव

लखनऊ। आईजी जेल साहब बोल रहे हैं, आप कौन, नाम बताते ही रांग नंबर कहकर फोन कट जाता है। यह हाल है कि प्रदेश के उन जिम्मेदार अधिकारियों का जिनके हाथों में राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंप रखी है। हकीकत यह है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री की तमाम हिदायतों के बाद भी अफसरशाही सुधरने को तैयार नहीं है। यह हाल एक ही अधिकारी का नहीं इसी विभाग के दूसरे अधिकारी भी है उनसे जब संपर्क करने का प्रयास किया तो उन्होंने फोन तो उठाया पर यह कहकर कि वह किसी अन्य से जानकारी ले लें फोन काट दिया। अफसरों की यही तानाशाही रही तो राज्य की कानून व्यवस्था के पटरी पर आने की बात पर सवालियां निशान लगता नजर आ रहा है। हम बात कर रहे हैं प्रदेश के कारागार विभाग की। इस विभाग की जिम्मेदारी खूंखार बंदियों को नियंत्रित रखकर उन्हें सुरक्षित रखने की है। इस विभाग के आला अफसर पूरी तरह से बेलगाम हो गए है।

मुख्यमंत्री की तमाम हिदायतों के बाद भी बेलगाम नौकरशाही

मिली जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार ने प्रदेश की पांच अतिसंवेदनशील जेलों में अनाधिकृत वस्तुओं के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए एक नया प्रयोग किया है। इस प्रयोग के पहले चरण के लिए राजधानी लखनऊ की जिला जेल, इलाहाबाद की केंद्रीय कारागार, आगरा की जिला जेल, गाजियाबाद ही डासना जेल व एक अन्य जेल का चुना गया है। शासन के निर्देश के मुताबिक इन जेलों में खूंखार अपराधियों के पास तक अनाधिकृत एवं आपत्तिजनक वस्तुएं नहीं पहुंच पाए इसके लिए इन जेलों के बाहर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया जाएगा। एक क्षेत्राधिकारी, चार इंस्पेक्टर, दो थानाध्यक्ष के अलावा डेढ़ सेक्शन पीएसी बल तैनात किए जाने का निर्देश दिया गया। इस निर्देश के तहत शासन के निर्देश पर कारागार मुख्यालय की ओर से चयनित की गई पांच जेलों में इस व्यवस्था को लागू भी कर दिया गया है।

जेलों के लिए की गई सरकार की नई व्यवस्था छिपा रहे अफसर

शासन के निर्देश पर कारागार मुख्यालय के प्रदेश की पांच अतिसंवेदनशील जेलों के चयन के बारे में जब विभाग के मुखिया आईजी जेल देवेंद्र प्रताप सिंह के सीयूजी फोन नंबर 9454418151 पर सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो पहले तो यह नबंर उठा ही नहीं जब तीसरी बार फोन मिलाया गया तो फोन उठाने पर सवाल किया गया कि आईजी जेल बोल रहे हैं उधर से पूछा गया पूछा कौन बोल रहा है, नाम बताने उन्होंने रांग नंबर कहकर फोन काट दिया। इसके बाद संवाददाता ने खबर की पुष्टि के लिए एआईजी जेल प्रशासन डा. रियाज अख्तर के सीयूजी फोन नंबर 9454418152 को मिलाया तो उन्होंने सवाल सुनते ही एकटूक जवाब दिया कि वह अभी आईपीएस मीट में जा रहे है वह किसी और से इस बात की जानकारी प्राप्त कर लें। इसके बाद जब डीआईजी जेल मुख्यालय आरपी सिंह से बात करने की कोशिश की तो उनका फोन ही नहीं उठा। जिम्मेदार अफसरों की यह हकीकत प्रदेश के नौकरशाहों के बेलगाम होने के तथ्यों की पुष्टि करती नजर आ रही है।

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गाजियाबाद में बीच सड़क पर चलती कार बनी आग का गोला, ड्राइवर ने कूदकर बचाई जान

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गाजियाबाद। गाजियाबाद में शनिवार को एक चलती कार में अचानक आग लग गई। आग बेहद भीषण थी और कुछ पलों में ही आग की तेज लपटों ने पूरी गाड़ी को घेर लिया। दोनों तरफ से ट्रैफिक चल रहा था इसी दौरान कार में ब्लास्ट भी हुआ। हालांकि गनीमत रही कि इस हादसे में ड्राइवर को कोई नुक्सान नहीं हुआ है। उसने पहले से कार से कूदकर अपनी जान बचा ली।

मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की एक गाड़ी ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया। गनीमत रही कि घटना में कोई जनहानि नहीं हुई। फायर विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, शनिवार को गाजियाबाद के फायर स्टेशन कोतवाली में दिन में 2 बजे चिरंजीव विहार के सामने हापुड़ रोड पर कार में आग की सूचना मिली।

सूचना मिलते ही फायर स्टेशन कोतवाली का एक फायर टेंडर यूनिट को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया। घटनास्थल पर पहुंच कर फायर कर्मियों ने देखा कि गाड़ी से आग की लपटें काफी तेज हैं और आग पूरी गाड़ी में फैल चुकी है। फायर यूनिट ने शीघ्रता से होजलाइन फैलाकर फ़ायर फ़ाइटिंग कर आग को पूर्ण रूप से शांत किया। जानकारी के मुताबिक यह महिंद्रा कंपनी की केयूवी कार थी। गाड़ी डीजल की थी। गाड़ी के मालिक का नाम परवेज आलम है। वो गाड़ी से डासना की तरफ जा रहे थे।

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