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नेशनल

न्यायाधीशों व कानूनविदों ने बुलंद की बच्चों के अधिकारों की आवाज

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विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन
लखनऊ। सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के आमन्त्रण पर ‘अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन’ में प्रतिभाग हेतु लखनऊ पधारे चार देशों के पूर्व राष्ट्रपतियों एवं 60 देशों के मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों व कानूनविदों ने आज  बड़े जोरदार ढंग से बच्चों के अधिकारों की आवाज उठाई और प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था की पुरजोर वकालत की। ‘अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन’ का शुभारम्भ मुख्य अतिथि मुख्तार अब्बास नकवी, अल्पसंख्यक एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री, भारत सरकार द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ जबकि उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता रोमानिया के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम एमिल कान्सटेन्टिन्जू ने की। इस अवसर पर न्यायमूर्ति

कार्ल अशोक सिंह, चांसलर आफ ज्यूडिशियरी, गुयाना ने विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने विचार रखे। विदित हो कि सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में ‘‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों का 15वाँ अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’’ 12 से 15 दिसम्बर तक सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक सम्मेलन में 4 देशों के राष्ट्रपति एवं 60 देशों के 250 से अधिक मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश व कानूनविद् प्रतिभाग कर रहे हैं।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए मुख्य अतिथि मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इसमें दो राय नहीं कि शांति की आवश्यकता सभी को हैं, परन्तु हमें सोचना होगा कि हम शान्ति व एकता स्थापित करने के प्रयासों के प्रति हम कितने गंभीर है, इसके लिए हमें आत्ममंथन करना होगा। उन्होने सम्मेलन की सफलता की कामना करते हुए कहा कि इस सम्मेलन का निश्चित रूप से कोई सुन्दर परिणाम निकलेगा।

उन्होंने कहा कि दुनिया मे आज तक 3 बड़े उद्यम विश्व के महानतम नेताओं द्वारा हुए हैं जिससे लीग आफ नेशन्स, संयुक्त राष्ट्र व यूरोपियन यूनियन की स्थापना हुई। अब एक चौथे उद्यम की आवश्यकता है जिसको अंजाम सिर्फ भारत के राष्ट्रीय नेता ही दे सकते हैं। समारोह की अध्यक्षता करते हुए रोमानिया के पूर्व राष्ट्रपति एमिल कान्सटेन्टिन्जू ने कहा कि सिटी मॉन्टेसरी स्कूल ने बच्चों के अधिकारों को लेकर जो आवाज पूरे विश्व में बुलन्द की है, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम है। उन्होंने कहा कि विश्व में अराजकता, आतंकवाद व अन्य अपराधों की रोकथाम हेतु मजबूत अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था बेहद जरूरी है।

न्यायमूर्ति कार्ल अशोक सिंह, चांसलर आफ ज्यूडिशियरी, गुयाना ने अपने संबोधन में कहा कि हमें विश्व स्तर पर कानून एवं विश्व सरकार बनाने के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए ताकि हम राष्ट्रीय स्तर से ऊपर उठकर विश्व के बच्चों का भविष्य संवार सकें। इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन की रिसेप्शन कमेटी के अध्यक्ष एवं सुप्रीम कोर्ट, भारत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.पी. मिश्रा, दक्षिण कोरिया से पधारे मैन ही ली, चेयरमैन, एच.डब्ल्यू.पी.एल., फ्रेडरिक फर्थ, चेयरमैन, इण्टरनेशनल ज्यूडिशियल कान्फ्रेन्स, अमेरिका, समेत कई न्यायमूर्तियों ने अपने विचार व्यक्त किए।

इससे पहले, 60 देशों से पधारे न्यायविदों, कानूनविदों व विश्व शान्ति समर्थकों ने आज एक विशाल ‘विश्व एकता मार्च’ द्वारा विश्व के ढाई अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य का अलख जगाया एवं इस पुनीत प्रयास हेतु सी.एम.एस. के विश्व एकता अभियान का पुरजोर समर्थन किया।

कानपुर रोड स्थित पुरानी चुंगी से सी.एम.एस. कानपुर रोड आडिटोरियम तक निकाले गये विशाल ‘विश्व एकता मार्च’ में सी.एम.एस. के लगभग 2000 से अधिक छात्रों ने देश-विदेश से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों का अनुसरण किया एवं अपने हाथों में ग्लोब, पोस्टर, बैनर इत्यादि लेकर विश्व एकता, विश्व शान्ति, सुदृढ़ विश्व न्यायिक व्यवस्था की पुरजोर अपील की। cms

इस विशाल मार्च में सी.एम.एस. छात्रों ने सभी 200 देशों के झंडे लेकर एवं न्यायाधीशों की ड्रेस में एवं सभी धर्मो के प्रतिनिधि के रूप में बड़े आकर्षक वस्त्र पहनकर एकता मार्च को अनूठा एवं आकर्षक बना दिया और सारे विश्व में विश्व एकता व विश्व शान्ति लहर प्रवाहित की। इस विशाल एकता मार्च में सी.एम.एस. के सभी कैम्पस की प्रधानाचार्याओं व शिक्षक/शिक्षिकाओं ने भी सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी के मार्गदर्शन में बड़े उत्साह से भागीदारी की और बच्चों के सुर में सुर मिलाया।

इस ऐतिहासिक सम्मेलन के संयोजक व सी.एम.एस. संस्थापक, प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने आज अपरान्हः सत्र में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में मुख्य न्यायाधीशों के विचारों से अवगत कराते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ में पाँच वीटो पावर के होते हुए यह समानता सम्भव नहीं है इसलिए एक प्रजातान्त्रिक विश्व सरकार का गठन अतिआवश्यक है।

विश्व सरकार, विश्व संसद और अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था ही विश्व को बचाने में सक्षम होगी। संयुक्त राष्ट्र संघ का यह बदला रूप ही मानव जाति का कल्याण कर सकता है व आतंकवाद, अशिक्षा, बेरोजगारी और पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओं को नियन्त्रित कर सकता है। डा गाँधी ने आगे बताया कि मुख्य न्यायाधीशों ने सी.एम.एस. के बच्चों की विश्व एकता की अपील को ध्यानपूर्वक सुना व इस पर गहरा विचार-विमर्श किया। इस अपील में छात्रों ने विश्व के ढाई अरब बच्चों की ओर से इन मुख्य न्यायाधीशों से कहा कि हम बच्चे एक सुरक्षित भविष्य चाहते हैं। हम स्वस्थ जलवायु में सांस लेना चाहते हैं। हमें यह बमों का जखीरा नहीं चाहिए। आज लोग मिलकर ऐसी कानून व्यवस्था बनायें जिससे विश्व में न्याय हो और एकता व शान्ति स्थापित हो सके, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाये, बच्चों पर अत्याचार और अन्याय समाप्त हो, सबको चिकित्सा का लाभ मिल सके और युद्ध समाप्त हो।

60 देशों से पधारे ये न्यायविद् व कानूनविद् आज सायं 7.00 बजे मुख्यमंत्री आवास पर जायेंगे, जहाँ मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव विभिन्न देशों के माननीय न्यायमूर्तियों के सम्मान में रात्रिभोज देंगे।

अन्तर्राष्ट्रीय

जेपी मॉर्गन के CEO बोले- अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेता की जरुरत

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नई दिल्ली। अमेरिकी बैंकिंग फर्म जेपी मॉर्गन चेज के सीईओ जेमी डिमन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि अमेरिका को भी पीएम मोदी जैसे मजबूत नेताओं की आवश्यकता है। जेमी डिमन ने कहा कि पीएम मोदी ने भारत में जबदरस्त और अविश्वसनीय काम किया है। अमेरिका में भी भारत नरेंद्र मोदी की तरह का प्रधानमंत्री होना चाहिए।

इकोनॉमिक क्लब ऑफ न्यूयॉर्क की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेमी डिमन ने कहा कि मैं अमेरिका के लिबरल प्रेस को जानता हूं, जो लगातार नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हैं। उन्होंने 40 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है.। इस दौरान डिमन ने भारत में गरीबी उन्मूलन, बुनियादी ढ़ांचे आर्थिक विकास समेत कई अन्य विषयों पर खुलकर बात रखीं।

उन्होंने कहा, “अमेरिका के कई अधिकारी भारत को लेकर कई बातें कहते हैं, लेकिन अपना देश कैसे चलाना है इस बारे में सोचने की जरूरत है। भारत में नरेंद्र मोदी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की सरकारें जलवायु परिवर्तन और श्रम अधिकारों को लेकर भारत की आलोचना करती हैं, जबकि उनके पास शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं है। फिर भी वो डटकर चुनौतियों का समाना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत ने एक नई चलन शुरू की है, जिसमें लोगों को फिंगर प्रिंट और आंख से पहचान की जाती है। यह भी भारत के लिए एक उल्लेखनीय है।

डिमन ने आगे कहा कि भारत मूलभूत सुविधाओं पर काम करते हुए आगे की दिशा में काम कर रहा है। विकासशील देश से विकसित देश की ओर बढ़ने के लिए वहां की सरकार लगातार प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

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